श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “नौतपा”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 180 ☆

☆ # “नौतपा” #

पृथ्वी की कोमल काया

सूर्य की ऊष्मा भरी किरणों से

जब लिपट जाती है

और प्रणय निवेदन करने

धीरे धीरे करीब आती है

तब चारों तरफ

गर्मी की लहर

बहने लगती है

हर जीव जंतु, पशु-पक्षी

बेजान वस्तुएं भी

त्राहि त्राहि करने लगती है

उफान पर होता है आवेग

दोनों के मिलन का

काया जल जाती है

पर नामोनिशान नहीं

होता जलन का

नौ दिन तक

यह प्रणय लीला

चलती है

भीषण गर्मी

ज़मीं और आसमान को

छलती है

तभी

उनके प्रणय का अंकुर

अंकुरित होता है

नभ में

शुभ्र मेघों की जगह

स्याह मेघों का

झुंड विचरित होता है

नभ में और धरती पर

हर्षोल्लास का

उन्माद का

अदभुत दृश्य दिखता है

जिसे देखकर ही

प्रेम में विव्हल कवि

कालिदास मेघदूत लिखता है

हर कोई

पृथ्वी पर

हम और आप

तपता हुआ हर कण

हर क्षण

जल की बूंद बूंद को

तरसता है

तब नभ से

बूंदों के रूप में

प्रेम रस बरसता है

धन्य हो जाती है धरती

उन्माद में चीत्कार है करती

सृष्टि पर यौवन आता है

अपनी गोद नव अंकुर से है भरती

 

नौतपा सिर्फ भीषण गर्मी नहीं

यह नवपल्लवित

जीवन का आभास है

चाहे नौ पल का हो

नौ दिन का हो

या नौ ——- का हो

नौतपा कुदरत का

खुशियों भरा अहसास है /

*

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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