श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 118 ☆

☆ मुक्तक – ।। बस यूँ ही किसी किरदार को नाम नहीं मिलता ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

[1]

हर किसीको यूँ ही जमीं आसमां नहीं मिलता है।

हर किसीको करने को इम्तिहान नहीं मिलता है।।

वह तो खुशनसीब हैं जिन्हें   आजमाया है गया।

हर क़िरदार को यूं ही नाम इंसान नहीं मिलता है।।

[2]

जिम्मेदारी भी मिलती है   काम करने वाले को।

यह दुनिया भी पूछती है    नाम करने वाले को।।

कर्मशील को तो मिलता  है काम  में ही आनंद।

ये मंजिल मिलती है स्वाभिमान करने वाले को।।

[3]

कल को भूलो आज हम रवानी नई लिखते हैं।

छोड़ कर ये पुरानी बातें कहानी नई लिखते हैं।।

गर छूना आसमान तो उड़ान भरोआज ही तुम।

हौसलों   भरी हुई इक जिंदगानी नई लिखते हैं।।

[4]

जो सिर्फ पानी से नहाते  वो लिबास बदलते हैं।

जो नहाते पसीने से जाकर  इतिहास बदलते हैं।।

उनकी सोच खून पसीना रंग लाता है अलग सा।

वो होकर आदमी आम ही कुछ खास बदलते हैं।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
image_printPrint
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments