डॉ गुलाब चंद पटेल
☆ कविता ☆ अनमोल तुम है चाँद तारा ☆ डॉ गुलाब चंद पटेल ☆
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तुम ही हो चाँद तारा प्यारा है
तुम ही हो अमर प्यार हमारा है
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पर्दा हटते ही चाँद निकल आता है
उसकी हर अदा हमे दिवाना बनाती है
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लोग तुम्हें चाहे दूर से देखते है
नजदीक से देखने का हक्क हमारा है
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बादल का पर्दा हटते ही चाँद दिखता है
इन्हें देखकर दिल मेरा बहुत धड़कता है
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कातिल नजरो से निगाह डाला है
चाँद तुम पर हक सिर्फ हमारा है
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तुम्हें मिलने को चाँदनी रात मन बनाया है
दिल में हमने तेरे लिए एक स्वप्न सजाया है
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तुम्हें बिना देखे चेन नहीं मिलता है
तुम्हारा स्मित हमे बहुत प्यारा लगता है
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तुम्हारी याद रात हमे बहुत सताती है
खुशिया की लहर हमे सुबह जल्दी जगाती है
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चाँद तुम इंतजार बहुत कराता है
जीवन में प्यार की लहर दौड़ जाती है
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चाँद तुम हमे जी जान से प्यारा है
तेरे संग जिंदगी जीना मकसद हमारा है
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कवि गुलाब ने प्यार का पैगाम पहुंचाया है
चाँद को ही सिर्फ अपने दिल में बसाया है
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© डॉ गुलाब चंद पटेल
अध्यक्ष महात्मा गांधी साहित्य सेवा संस्था गुजरात Mo 8849794377 <[email protected]> <[email protected]>
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈