श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “कीट नियंत्रण – (Pest Control)।)

?अभी अभी # 396 कीट नियंत्रण – (Pest Control) ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

तब हमने ना तो स्वच्छ भारत अभियान का नाम सुना था और ना ही पेस्ट कंट्रोल जैसी बीमारी का नाम। शाम होते ही अचानक मोहल्ले में भगदड़ मच जाती, धुंए वाली मशीन आ रही है, खाने का सामान ढांककर रख दो, अपने मुंह पर कपड़ा बांध लो। और थोड़ी ही देर में एक वाहन वातावरण में धुंआ फैलाता गुजर जाता। डीडीटी की बदबू सांसों में भर जाती, आंखों के आगे अंधेरा छा जाता।

तब कहां घर घर कमोड था, खुली नालियां थीं, और घरों में डब्बे वाले शौचालय थे, पीछे गली रहती थी, और इंसान सिर पर मैला ढोता था। तब और अब में जमीन आसमान का अंतर है, लेकिन मक्खी, मच्छर और काक्रोच आज भी अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं।।

स्वास्थ्य और हाइजीन के प्रति आम नागरिक और प्रशासन कल की तुलना में आज बहुत अधिक मुस्तैद और जागरूक है, स्वच्छ भारत अभियान अपनी बुलंदियों पर है और घर घर हार्पिक, एसिड, डेटॉल और लायज़ॉल की खुशबू से घर महकता रहता है। मच्छरों के लिए ऑल आउट और काला हिट, काला जादू का काम करता है। फिर भी सावधानी के लिए समय समय पर घरों में पेस्ट कंट्रोल की सलाह दी जाती है।

एक तरह का व्हाइट वाॅश ही तो होता है पेस्ट कंट्रोल। घर के कोने कोने में कीट प्रजाति के प्राणियों को जड़ से खत्म किया जाता है। एक तरह से उनके वंश का नाश किया जाता है। किसे पसंद है उनका मधुर संगीत, और वह भी रात के अंधेरे में।।

बारिश के आते ही, सड़कों पर और मैदानों के ठहरे हुए पानी में मेंढक अपना राग अलापना शुरू कर देते हैं, एक अदबी महफिल शुरू हो जाती है, जो खत्म होने का नाम ही नहीं लेती। लगते होंगे किसी को दूर के ढोल सुहाने, लेकिन इस तरह का गीत जब बज रहा हो, और आपके घर में गायक झींगुर महोदय स्वयं उपस्थित हों, तो आप क्या करेंगे ;

सुनो तो ज़रा, झींगर बोले चीकीमीकी चीकीमीकी रिमझिम के ये प्यारे प्यारे गीत लिए …

भाई साहब, हमसे तो कंट्रोल नहीं होता और हम एक पेस्ट कंट्रोल वाले को फोन लगा ही देते हैं। उधर पेस्ट कंट्रोल वाले आते हैं और इधर कोई परिचित मेहमान फोन द्वारा टपकने की सूचना देते हैं। फोन धर्मपत्नी उठाती है, और उन्हें साफ मना कर देती है, सभी घर में गेस्ट कंट्रोल चल रहा है, आप बाद में पधारिए। भले ही जबान अनजाने में फिसली हो, गेस्ट को नाराज तो होना ही था।

आप पेस्ट कंट्रोल करवाएं, ना करवाएं, लेकिन ये सामान्य सावधानियां तो रख ही सकते हैं ;

खुद करें घर में पेस्ट कंट्रोल

रात को जूठे बरतन सिंक में न छोड़ें. इस से कौकरोच और चींटियों को खाना मिलता है. …

बचे खाने को फ्रिज में रखें. …

डस्टबिन ढकी होनी चाहिए.

कमरे के फर्श को दिन में 1 या 2 बार साबुन के पानी से साफ करें.साबुन के घोल में हमने केंचुए को मरते देखा है।

बाथरूम और किचन की नियमित सफाई करें.

भीगे कपड़ों को बाथरूम में अधिक देर तक न रखें।।

विज्ञान और माइक्रोबायोलॉजी जिन्होंने पढ़ी है, वे जानते हैं, मक्खी जहां बैठती है, वहीं अंडे दे देती है। बरसात में धूप के अभाव में मक्खी हमारे आसपास अधिक घूमती है। हमारे पहले वह कहां कहां आसन जमाकर आई होगी, कौन जानता है।

जब वह मेरी नाक पर बैठती होगी तो वहां भी अवश्य अंडे देती होगी।

जनसंख्या नियंत्रण जब होगा तब होगा, अपने घर और परिवार को स्वस्थ व तंदुरुस्त रखने के लिए अपने स्तर पर कीट नियंत्रण अर्थात् पेस्ट कंट्रोल तो आपको करना ही होगा। इसी बहाने कुछ समय के लिए गेस्ट कंट्रोल भी अपने आप ही हो जाएगा। कृपया मेहमान बुरा ना मानें।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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