प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ दोहा – योग भगाये रोग ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆
(अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष)
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योग भगाता रोग है, काया हो आदित्य।
स्वास्थ्य रहे हरदम खरा, मिले ताज़गी नित्य।।
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योग कला है, ज्ञान है, रिषियों का संदेश।
तन-मन की हर पीर को, करे दूर, हर क्लेश।।
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योग साधना मानकर, पाते हम बल-वेग।
गति-मति में हो श्रेष्ठता, मिले खुशी का नेग।।
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दीर्घ आयु मिलती सदा, अपनाते जो ध्यान।
योग करो, ताक़त गहो, पाओ नित सम्मान।।
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योग कह रहा नित्य यह, लेना शाकाहार।
तभी मिलेगा हर कदम, जीवन में उजियार।।
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भारत चिंतन में प्रखर, देता उर-आलोक।
योग-ध्यान से बंधुवर, पास न आता शोक।।
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योग दिवस मंगल रचे, अखिल विश्व में मान।
योगासन हर मुद्रा, पाती है यशगान।।
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योग साधना दिव्य है, रामदेव जी संत।
जिन ने भारत से किया, सकल रुग्णता अंत।।
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योग नया विश्वास है, चोखी है इक आस।
जो जीवन-आनंद दे, रचे नया मधुमास।।
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योग-ध्यान से नेह कर, गाओ जीवन गीत।
तन-मन को बलवान कर, पाओ हरदम जीत।।
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© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
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