☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 289 ☆
कविता – बेटी बचाती हैं देश
☆
गांधार की
शिव भक्त राजकुमारी
गांधारी !
इंद्रप्रस्थ और गांधार
राज्यों की शक्ति ,
समझौते में रिश्ते की राजनीति !
कुरु वंश की बड़ी
कुलवधु चुन ,
जन्मना नेत्रहीन
धृतराष्ट्र की पत्नी
बना दी गई।
और तब गांधारी ने
पति का थामा जो हाथ
देने आजन्म साथ
स्वयं अपनी आंखो पर बांध ली पट्टियां,
छोड़ दिया जीवन भर के लिए रोशनी का साथ।
बेटियां बचाती हैं देश
और पिता का नाम
कभी गांधारी बनकर गांधार
तो कभी जोधा बनकर आमेर
खुद के लिए चुन लेती हैं वे दुष्कर अंधा रास्ता
© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
म प्र साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ व्यंग्यकार
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