सौ. वृंदा गंभीर
☆ कविता – अगर तुम मिल गये होते… ☆ सौ. वृंदा गंभीर ☆
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जिंदगी और भी खूबसूरत होती
अगर तुम मिल गये होते…
हर रात हसीन होती
अगर तुम मिल गये होते…
हर दिन लाजवाब होता
अगर तुम मिल गये होते…
आखों में कभी आँसू नहीं होते
अगर तुम मिल गये होते…
जिंदगी कितनी हसीन होती
अगर तुम मिल गये होते…
तकदीर में कांटे नहीं होते
अगर तुम मिल गये होते…
दर्दभरी जिंदगी जी रही हूँ
शायद कोई दर्द नहीं होता
अगर तुम मिल गये होते…
किस्मत में तुम होते तो
अगर तुम मिल गये होते…
राह देखती हूं अगले जनम में
मगर तुम मिल जना
मिल जाऊंगी इंतजार करते करते…
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– दत्तकन्या
© सौ. वृंदा गंभीर
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈