आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है सॉनेट – सीता…।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 195 ☆
☆ सॉनेट – सीता ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆
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वसुधातनया जनकदुलारी।
रामप्रिया लंकेशबंदिनी।
अवधमहिष वनवासिन न्यारी।।
आश्रमवासी लव-कुश जननी।।
क्षमामूर्ति शुभ-मंगलकारी।
जनगण पूजे करे आरती।
संतानों की विपदाहारी।।
कीर्ति कथा भव सिंधु तारती।।
योद्धा राम न साथ तुम्हारे।
रण जीते, सत्ता अपनाई।
तुम्हें गँवा, खुद से खुद हारे।।
सरयू में शरणागति पाई।।
सियाराम हैं लोक-हृदय में।
सिर्फ राम सत्ता-अविनय में।।
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© आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
१२-४-२०२२
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