डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे – माँ का आँचल ।)
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माँ का आँचल साथ है, मिलती शीतल छाँव।
बच्चों की मुस्कान माँ, चरणों में है ठाँव।।
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प्यार माँ का मिले हमें, माँ ममता की छाँव ।
आँचल माँ का ओढ़कर, साथ घूमे हम गाँव।।
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माँ का आँचल हैं नहीं, याद करें दिन रात।
संस्कार अच्छे दिए, यही करें हम बात।।
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वो दिन हम भूले नहीं, छोड़ा माँ ने साथ।
लहर- लहर आँचल उड़ा, उठता सिर से हाथ।।
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जब जब देखा स्वप्न में, प्यार भरी मुस्कान।
पाकर अपने साथ में, आ जाती है जान।।😢
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आँचल की करें कल्पना, है वो बड़ा विशाल।
सुख – दुख सब बसते यहाँ, बना यही है ढाल।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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