डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे – माँ का आँचल )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 240 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे – माँ का आँचल ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

माँ का आँचल साथ है, मिलती शीतल छाँव।

बच्चों की मुस्कान माँ, चरणों में है ठाँव।।

*

प्यार माँ का मिले हमें, माँ ममता की छाँव ।

आँचल माँ का ओढ़कर, साथ घूमे हम गाँव।।

*

माँ का आँचल हैं नहीं, याद करें दिन रात।

संस्कार अच्छे दिए, यही करें हम बात।।

*

वो दिन हम भूले नहीं, छोड़ा माँ ने साथ।

लहर- लहर आँचल उड़ा, उठता सिर से  हाथ।।

*

जब जब देखा स्वप्न में, प्यार  भरी मुस्कान।

पाकर अपने साथ में, आ जाती है जान।।😢

*

आँचल की करें कल्पना, है वो बड़ा विशाल।

सुख – दुख सब बसते यहाँ, बना यही है ढाल।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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