डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे – मेघ)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 241 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे – मेघ ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

घिरे मेघ अब कह रहे,  सुनो गीत मल्हार।

बरसेंगे हम झूम के, नाचेगा संसार।।

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मेघ गरजते दे रहे, प्यारा सा संदेश।

देखो साजन आ रहे, वापस अपने देश।।

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रिमझिम रिमझिम आ रही, है वर्षा की  फुहार।

 आ जाओ अब सजन तुम, आया है त्योहार।।

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मौसम है बरसात का, गिरी कृषक पर गाज।

खेत लबालब हैं भरे , मेघ बरसते आज ।।

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जगह – जगह पर बाढ़ है,  उजड़ रहे घरबार।

खोज रहे हैं हम सभी , नहीं बचा  परिवार।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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