श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता तुम मुस्कुराओ तो

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 188 ☆

☆ # “तुम मुस्कुराओ तो ” # ☆

तुम मुस्कुराओ तो

फूल खिलते हैं

तुम रूठ जाओ तो

दिल दहलते हैं

 

तुमको छूकर जब

पुरवाई चलती है

हर कली फूल

बनने को मचलती है

भंवरों के सीने मे

आग जलती है

बागों में सुगंधित

तूफान चलते हैं  

तुम मुस्कुराओ तो

फूल खिलते हैं

 

झूमते आवारा

बादलों की मनमानी है

कहीं पर सूखा तो

कहीं पर घनघोर पानी है

महल लबालब है

गरीबों की दूभर जिंदगानी है

मेघ भी हमेशा

निर्धन को ही क्यों छलते हैं?

तुम मुस्कुराओ तो

फूल खिलते हैं

 

अब तो आ जाओ

वर्ना रूठ जायेगी वर्षा रानी

बादल नहीं बरसेंगे

नहीं बरसेगा वर्षा का पानी

तन मन नहीं भीगेंगे तो

अधूरी होगी प्रेम कहानी

प्रेम की फुहारों में

भीगे अंग नव अंकुरों में ढलते हैं

तुम मुस्कुराओ तो

फूल खिलते हैं  

तुम रूठ जाओ तो

दिल दहलते हैं /

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_printPrint
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments