☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 295 ☆

? कविता – मन की सुंदरता का फिल्टर? श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

मोबाइल से खींची हुई

सेल्फी

पोस्ट करने से पहले

गुजरती हैं

तरह तरह के फिल्टर और ब्राइटनिंग एप्प्स से

कोई दाग नहीं दिखता

इंस्टा, व्हाट्स अप या फेसबुक की डीपी में

सैकड़ो लाइक्स मिलते हैं

हर खूबसूरत फोटो पोस्ट पर

अदा, लोकेशन, स्टाइल

हर कुछ

नयापन लिए हुए होता है

 

काश

मन की सुंदरता का भी

कोई

फिलर, और फिल्टर

हो, जो

दिल की कलुषता को

परिमार्जित कर

एक धवल छबि और

मोहक व्यक्तित्व

बना दे मेरा

और मैं उसके

सपनो का राजकुमार

बन कर उतर जाऊं

सीधे उसके हृदय पटल पर

शासन करने।

 

© श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

म प्र साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ व्यंग्यकार

संपर्क – ए 233, ओल्ड मिनाल रेजीडेंसी भोपाल 462023

मोब 7000375798, ईमेल [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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