डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे… जल।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 244 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे… जल ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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रोज गिरे बिजली यहाँ, कष्टों का भंडार।
दीन दुखी के भाग में, नहीं सुखद आधार।।
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बारिश रस्ता भूलती, सूखा पड़ा है गाँव।
गरमी का पुरजोर है, मिले नहीं है छाँव।।
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बूँद – बूँद जल के लिए, होता हाहाकार।
आखिर ऐसा क्यों हुआ, अब तो करें विचार।।
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नैना बहते बाढ़ से, कैसे रोकूँ नाथ।
दर्शन देना प्रभु मुझे, तेरा ही तो साथ।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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