सुश्री अनुभा श्रीवास्तव 

(सुप्रसिद्ध युवा साहित्यकार, विधि विशेषज्ञ, समाज सेविका के अतिरिक्त बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी  सुश्री अनुभा श्रीवास्तव जी  के साप्ताहिक स्तम्भ के अंतर्गत हम उनकी कृति “सकारात्मक सपने” (इस कृति को  म. प्र लेखिका संघ का वर्ष २०१८ का पुरस्कार प्राप्त) को लेखमाला के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। साप्ताहिक स्तम्भ – सकारात्मक सपने के अंतर्गत आज अगली कड़ी में प्रस्तुत है “ घरेलू बजट” ।  इस लेखमाला की कड़ियाँ आप प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे।)  

 

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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सकारात्मक सपने  # 20 ☆

 

☆ कैमरो की निगरानी 

 

हर क्राइम का अपराधी अंततोगत्वा पकड़ ही लिया जाता है. पोलिस के हाथ बहुत लम्बे होतें हैं. बढ़ती आबादी, बढ़ते अपराध पोलिस के प्रति खत्म होता डर, अपराध की बदलती स्टाइल अनेक ऐसे कारण हैं जिनके चलते अब इलेक्ट्रानिक संसाधनो का उपयोग करके पोलिस को भी अपराधियो को खोजने तथा अपराधो के विश्लेषण में मदद लेना समय की जरूरत बनता जा रहा है.

वीडियो कैमरे की रिकार्डिंग इस दिशा में बहुत बड़ा कदम है. यही कारण है कि चुनाव आदि में वीडियो कवरेज किया जाने लगा है.  उन्नत पाश्चात्य देशो में जहाँ बड़े बड़े माल, सड़के आदि सतत वीडियो कैमरो की निगरानी में होते हैं, अपराध बहुत कम होते हैं क्योकि सबको पता होता है कि वे वीडियो सर्विलेंस में हैं. अति न्यून मानवीय शक्ति का उपयोग करते हुये भी इलेक्ट्रानिक कैमरो की मदद से बड़ी भीड़ पर नजर रखी जा सकती है. आवश्यक है कि अब पोलिस इस बात को बहु प्रचारित करे कि हम सब अधिकांशतः वीडियो कवरेज के साये में हैं. इस भय से किंचित अपराध कम हों. हमारे जैसे देश में यदि सरकार ही सारी आबादी पर वीडियो कवरेज करने की व्यवस्था करे तो चौबीसों घंटे वीडीयो निगरानी की रिकार्डिंग पर भारी व्यय होगा. अभी सरकार की प्राथमिकता में यह नही है.

निजी तौर पर प्रायः मध्यम वर्गीय लोग भी घरो व अपने कार्यस्थलो पर वीडीयो कैमरे स्थापित कर रहे हैं, जिनकी मदद से वे अपने घरो की सुरक्षा, अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानो में कामगारो पर नजर, तथा अपनी दूकान आदि में ग्राहको को कवर कर रहे हैं. गाहे बगाहे पोलिस भी इन्ही रिकार्डिंग्स की मदद से अपराधियो को पकड़ पाती है. पर अब तक आधिकारिक रूप से इन आम लोगो के द्वारा करवाई गई रिकार्डिंग पर सरकार का कोई नियंत्रण या अधिकार नही है.

अपराध नियंत्रण हेतु पोलिस द्वारा निजी सी सी कैमरो की वीडियो फुटिंग्स का उपयोग आधिकारिक रूप से कभी भी कर सकने हेतु कानून बनाया जाना चाहिये. जिससे पोलिस सौजन्य नही, अधिकारिक रूप से किसी भी सी सी टीवी की फुटिंग प्राप्त कर सके. सार्वजनिक स्थलो सड़को, चौराहों, नगर प्रवेश द्वारो, पार्कों, बस स्टेंड, आदि स्थलो पर नगर संस्थाओ द्वारा सी सी टी वी बढ़ाये जाने चाहिये. किसी भी अपराध में पोलिस को दिग्भ्रमित करने वाले अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही तथा अर्थदण्ड लगाये जाने के कानून भी जरूरी हैं.  पोलिस की सक्रिय भूमिका, मोबाइल व वीडीयो कैमरो की मदद से ही सही पर अपराध मुक्त वातावरण एक आदर्श समाज के लिये आवश्यक है.

 

© अनुभा श्रीवास्तव

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