डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे – रक्षा बंधन)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 246 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे – रक्षा बंधन☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

रक्षा बंधन प्यार का, प्यारा सा त्योहार।

खुशियां भाई बहिन की, मना रहा संसार।।

भैया घर पर आ रहे, यही बहन की चाह।

धागा राखी का लिए , देख रही है राह।।

 *

लगी द्वार पर टकटकी, देख रही हूँ राह।

राखी का त्योहार है, है बहना को चाह।।

 *

चौमासे की धूम है,  हर दिन है त्यौहार।

संग सखी,  भाई बहन, मिले पिया का प्यार।।

 *

धागा प्यारा लग रहा, है बहन का प्यार।

यह केवल धागा नहीं, रक्षा का त्योहार।।

 *

भाव समाहित हो रहे, मिलता है आशीष।

भाई आदर कर रहा, झुके सदा ही शीष।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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