प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ श्री गणेश-वंदना ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆
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हे विघ्नविनाशक,बुद्धिप्रदायक, नीति-ज्ञान बरसाओ ।
गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।।
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कदम-कदम पर अनाचार है, झूठों की है महफिल।
आज चरम पर पापकर्म है, बढ़े निराशा प्रतिफल।।
एकदंत हे ! कपिल-गजानन, अग्नि-ज्वाल बरसाओ ।
गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ ।।
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मोह,लोभ में मानव भटका, भ्रम के गड्ढे गहरे।
लोभी,कपटी, दम्भी हंसतेहैं विवेक पर पहरे।।
रिद्धि-सिद्दि तुम संग में लेकर, नवल सृजन सरसाओ।
गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ ।।
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जीवन तो अब बोझ हो गया, तुम वरदान बनाओ।
नारी की होती उपेक्षा, आकर मान बढ़ाओ।।
मंगलदायी, हे ! शुभकारी, अमिय आज बरसाओ ।
गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ ।।
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भटक रहा मानव राहों में, गहन तिमिर का आलम।
आया है पतझड़ जोरों पर, पीड़ा का है मौसम।।
प्रथम पूज्य हे! सुखकारी प्रभु!, जग रोशन कर जाओ।
गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ ।।
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© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
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