श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता मौत एक सच्चाई है

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 191 ☆

☆ # “मौत एक सच्चाई है” #

जिंदगी तूने इक बात

तो समझाई है

जीवन है हसीन ख्वाब

और मौत एक सच्चाई है

 

जीवन के भागदौड़ में

कुछ अपने बिछड़ गए

उम्र के आखिरी पड़ाव पर

उनकी याद आई है

 

वो वादा करके गये थे

आएंगे लौटकर

हमने हर सुबह ओ’ शाम

इंतजार मे बिताई है

 

सब कुछ लुटा दिया

हमने अपनों के वास्ते

बिस्तर पर पड़े तो

औलाद ने भी पीठ दिखाई है

 

जवानी तो मस्ती और

रंगीनियों मे गुजर गयी

बुढ़ापा देखकर

आंख भर आई है

 

भंवरें सा चूमते रहे बगीचों में

खिलती हुई कलियां

उन फूलों को भी अब

छूने की मनाही है

 

मसान मे जो देखी

जलती हुई चितायें

राजा हो या रंक

सबने यूंही सद्गति पाई है

 

जो शोषित, वंचितों के लिए

लड़ते रहे उम्र भर

वो अवतार बन गये

लोगों के दिलों में जगह पाई है

 

हम चलते रहे हमेशा

अपने उसूलों की राह पर

” श्याम” इसलिए तुमने

हर कदम पर ठोकर खाई है /

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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