प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ नशामुक्ति पर दोहे ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆
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करता नशा विनाश है, समझ लीजिए शाप।
ख़ुद आमंत्रित कर रहे, आप आज अभिशाप।।
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नशा बड़ी इक पीर है, लिए अनेकों रोग।
फिर भी उसको भोगते, देखो मूरख लोग।।
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नशा करे अवसान नित, जीवन का है अंत।
फिर भी उससे हैं जुड़े, पढ़े-लिखे औ’ संत।।
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मत खोना तुम ज़िन्दगी, जीवन सुख का योग ।
मदिरा, जर्दा को समझ, खड़े सामने रोग।।
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नशा मौत का स्वर समझ, जाग अभी तू जाग।
कब तक गायेगा युँ ही, तू अविवेकी राग।।
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नशा आर्थिक क्षति करे, तन-मन का संहार।
सँभल जाइए आप सब, वरना है अँधियार।।
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नशा लीलता हर खुशी, मारे सब आनंद।
आप कसम ले लीजिए, नशा करेंगे बंद।।
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नशा नरक का द्वार है, खोलो बंदे नैन।
वरना तुम पछताओगे, खोकर सारा चैन।।
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नशा मारकर चेतना, लाता है अविवेक।
नशा धारता है नहीं, कभी इरादे नेक।।
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नशा व्याधि है, लत बुरी, नशा असंगत रोग।
तन-मन-धन पर वार कर, लाता ग़म का योग।।
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© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
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