श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “सोचकर लिखना।)

?अभी अभी # 474 ⇒ सोचकर लिखना? श्री प्रदीप शर्मा  ?

बिना विचारे बोलना जितना आसान है उतना ही मुश्किल है बिना सोचे कुछ लिखना। सोचने के लिए हमें क्या चाहिए, कुछ नहीं, लेकिन लिखने के लिए सिर्फ सोचना ही जरूरी नहीं, कागज कलम या कुछ तो चाहिए, जिस पर हम कुछ लिख सकें, अथवा अंकित कर सकें। ‌

जितनी हमारी सोचने की गति है उससे कम हमारी लिखने की गति है। विचारों का क्या है चले आते हैं बादलों की तरह उमड़ घुमड़ कर, लेकिन जब लिखने का वक्त आता है, तो सिर्फ कुछ बूंदाबांदी, या कुछ अभिव्यक्त होता है कुछ नहीं होता है सब जाने कहां खो जाता है।।

लेकिन बोलते वक्त ऐसा नहीं होता, धारा प्रवाह बोला जाता है, भले ही उसका कोई अर्थ हो अथवा ना हो। घुमा फिराकर अर्थ निकाला जाता है, शब्दों को तोड़ा मरोड़ा जाता है, लेकिन अंत में बात बन ही जाती है। विशेषकर बच्चे और महिलाएं कितनी जल्दी-जल्दी बोलते हैं, कितनी जल्दी-जल्दी उनके ज़ेहन में विचार आते हैं और प्रकट भी हो जाते हैं। धारा प्रवाह बोलना कोई या तो बच्चों से सीखे अथवा महिलाओं से।

जितना आसान आजकल टेलीप्रॉम्पटर के जरिए लिखा हुआ बोलना हो गया है, उतना ही आसान, मोबाइल पर बोलकर लिखना भी हो गया है। एक जमाना था जब साहब स्टेनो को अंग्रेजी/हिंदी में डिक्टेशन देते थे और स्टेनो उसे शॉर्टहैंड में लिखकर बाद में टाइपराइटर पर टाइप करती थी /करता था।

आज की तकनीक के सहारे अगर आप सिर्फ बोल सकते हैं तो केवल बोलकर भी एक अच्छे लेखक बन सकते हैं। उसके लिए आपका लिखना पढ़ना बिल्कुल जरूरी नहीं। अगर आप एक अच्छे वक्ता हैं तो अच्छे लेखक तो हो ही गए। जिन्हें पहले बोलने में संकोच होता था वे अब बोलकर लिख सकते हैं और अपने विचारों के प्रवाह को आसानी से प्रकट कर सकते हैं।।

विचार भी बारिश की तरह होते हैं अगर आ गए तो आ गए, वरना आसमान साफ। बिस्तर में अथवा एकांत में जो विचारों की बारिश होती है वह झमाझम होती है बस उस समय अगर उनको कैद कर लिया जाए, तो कभी विचारों का अकाल ना पड़े।

आईये विचारों के जंगल में अच्छे विचारों का शिकार करें। उन्हें अपनी फेसबुक की वॉल पर सजाएं, और बुरे विचारों को सूली पर टांग दें, लिखकर अथवा बोलकर। देखें, कानून हम पर कौन सी धारा लगाता है।।

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© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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