डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे – किताब।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 250 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे – किताब ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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लिखती हूंँ मैं आज ही, तुझ पर एक किताब।
मुझे मिलेगा एक दिन, जिंदगी का खिताब।।
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देखा तेरा चेहरा, लगा लिया अंदाज।
वो किताब अब तो नहीं, पढ़ ना पाए आज।।
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किताबों को पढ़कर ही, मिले हमें संस्कार।
हमें उतरना चाहिए, अपने ही व्यवहार।।
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देखो कैसे बोलती, जिंदगी की किताब।
सुख दुख सारे खोलती, देती यही हिसाब।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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