श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “रिटायरमेंट के बाद”।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 193 ☆

☆ # “रिटायरमेंट के बाद” # ☆

रिटायरमेंट के पहले

हर व्यक्ति में

बहुत सारी दबी हुई

इच्छाएं, तमन्नाएं

अधूरे सपने, अधूरी आशाएं

होती हैं   

जो उसे

हरदम, हरपल

अंदर ही अंदर

कचोटती हैं  

वह रिटायरमेंट के

दिन का

बेसब्री से इंतज़ार करता है

सकुशल रिटायर होने क लिए

ईश्वर से प्रार्थना

हर रोज करता है

उसकी आंखों में

अनगिनत सुंदर

सपने होते हैं  

कुछ पाने के लिए

राह देखते

घर मे अपने होते हैं

वह एक एक दिन

बड़ी बेसब्री से बिताता है

अपने रिटायरमेंट की तारीख

घर मे और मित्रों मे

खुशी खुशी बताता है

 

जब रिटायर होकर

घर जाता है तब

खूब खुशीयां मनाता है

लेकिन उसका यह सुंदर सपना

अल्प समय में टूट जाता है

घर और बाहर

लगता है जैसे

कुछ छूट जाता है

जब घर में हर कोई उससे

दूरी बनाता है

वह सबके लिए अवांछित

हो जाता है

पत्नी की आंखों में

पहले सा प्यार नहीं होता

बहू-बेटे का सम्मानपूर्वक

व्यवहार नही होता

अड़ोस-पड़ोस वाले

देखकर मुंह फेर लेते हैं

संगी साथी भी तवज्जो

नही देते हैं

वह एकांत प्रिय हो जाता है

उसे अकेलापन

अंदर ही अंदर खाता है

तब उसे नौकरी करना

और रिटायरमेंट होने का

फर्क समझ मे आता है

 

दिन में रात का और रात में

दिन का इंतजार करता है

पल पल जीता है

पल पल मरता है

और कुछ लोग –

कोई क्लब में,

कोई बार में,

कोई चकाचौंध वाले

संसार में

ढूंढता है

कुछ पल का सुकून

किसी को

ईश्वर को पाने की

होती है धुन

कुछ लोग अवसाद में

डूब जाते हैं

कुछ लोग हताशा मे

टूट जाते हैं

 

कुछ किस्मत के मारे

निराशा मे डूबकर

दिल ही दिल मे घुट कर

अपनों के तानों से

रोज के अपमानों से

हार जाते हैं

वक्त की मार खाते हैं

और बेजान, बेवजह जीते हुए

समय पूर्व बूढ़े होकर

चुपचाप मर जाते हैं

और

कुछ लोग

जिंदादिली से जीते हुए

सुबह शाम

थोड़ा थोड़ा पीते हुए

अपने रूचि मे व्यस्त होकर

सामाजिक

रचनात्मक

कार्यों मे खोकर

कुछ ऐसा अनोखा

उत्कृष्ट कर जाते हैं

जिससे लोगों के दिलों मे

घर कर जाते हैं

और

मरने के बाद भी

अपना नाम अमर

कर जाते हैं/

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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