श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 132 ☆

☆ मुक्तक ॥ वरिष्ठ नागरिक, खेलनी उसी जोश से दूसरी पारी॥ ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

[1]

अब   शुरू हो गई  जीवन की दूसरी  पारी है।

अब अपनी रुचियाँ पूरी  करने की   बारी  है।।

जो अभिरुचि रह गई थी  सुप्त    अब  तक।

अब खत्म हो गई  जैसे  समय की   लाचारी है।।

[2]

मिल गई हमें जैसे    कि   दूसरी जिंदगानी अब।

पत्नी की दी गई समझ मेंआ रही कुरबानीअब।।

साथ पत्नी का  अब और अधिक भाने    लगा  है।

पत्नी लगती है  और अधिक प्यारी दीवानी   अब।।

[3]

छूटी हुई रिश्तों  की  दुनियादारी निभानी है अब।

घर के बच्चों को भी  जिम्मेदारी सिखानी है अब।।

काम के बोझ से  मुस्कुरा भी न पाए खुल कर।

हँसती   हुई  एक  महफ़िल हमें जमानी है  अब।।

[4]

कुछ जीवन में  सेवा कार्य  करने हैं अब हमको।

वरिष्ठ नागरिक के  कर्तव्य   भरने हैं अब हमको।।

अपने  अनुभव को बांटना  है समाज परिवार में।

कुछ धर्म-कर्म परोपकार कार्य तरने हैं अब हमको।।

[5]

रुकना नहीं थमना नहीं  बढ़ना  है हमको आगे।

जोड़ने हैं   अब हमको दोस्ती के टूटे हुए धागे।।

रखना हैअपने स्वास्थ्य का खूब ख्याल हमको।

ऊर्जा जोश तन-मन मेंअब भी रोज़ हमारे जागे।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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