स्व. डॉ. राजकुमार तिवारी “सुमित्र”
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणास्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपका भावप्रवण कविता – कथा क्रम (स्वगत)…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 210 – कथा क्रम (स्वगत)…
(नारी, नदी या पाषाणी हो माधवी (कथा काव्य) से )
क्रमशः आगे…
और
क्या विचार
उठ रहे होंगे
माधवी के मन में,
शायद कोई नहीं जानता ।
शायद सब जानते हैं
सब जानते होंगे
किन्तु
छाई रही शब्द हीनता
तना रहा
मौन का वितान ।
(शायद
चल रहा था।
सत् असत्
अहं, प्रतिष्ठा
शील
लज्जा और
ग्लानि क
मनोयुद्ध)
ग्लानि से
उबरने
कर्तव्य बोध से
प्रेरित हुए ययाति ।
रचा माधवी का स्वयंवर |
देश देशान्तर के
राजा
राजकुमार
ऋषि कुमार
सभी हुए एकत्र ।
☆
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
साभार : डॉ भावना शुक्ल
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈