ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

☆ आलेख ☆ माँ हरसिद्धि देवी का मंदिर रानगिर ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

विश्व में भारत के साथ-साथ कुछ अन्य देशों में भी देवी मां के शक्तिपीठ हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का ज़िक्र है। इनमें से कुछ शक्तिपीठ विदेशों में भी हैं।

  • देवी भागवत में 108 शक्तिपीठों का ज़िक्र है।
  • देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का ज़िक्र है।
  • तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठों का ज़िक्र है।

शक्तिपीठों के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि दक्ष राजा दक्ष प्रजापति के यहां पर यज्ञ में सती मां के जलने के बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर वहां पर उपस्थित सभी लोगों को करने का आदेश अपने वीरभद्र को दिया और उसके बाद मां सीता के शरीर को मां सती के शरीर को लेकर पूरे विश्व में भ्रमण करने लगे उनके क्रोध के काम पूरे ब्रह्मांड में प्रलय की स्थिति निर्मित हो गई। इस स्थिति को समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए थे। ये टुकड़े अलग-अलग जगहों पर गिरे और वहीं शक्तिपीठ बने।

शक्तिपीठों में ध्यान करने से सकारात्मक कंपन पैदा होते हैं।

मध्य प्रदेश के सागर जिले में रानगिर ग्राम में मां हरसिद्धि का मंदिर है। इस मंदिर को भी विद्वानों के द्वारा शक्तिपीठ के रूप में मान्यता प्राप्त है। कहा जाता है कि यहां पर मां सती का रान या जंग्घा गिरा था जिसके कारण इस स्थान का नाम रानगिर पड़ा है।

इसके अलावा जनश्रुति के अनुसार प्राचीन काल में इसी पर्वत शिखर पर शिव भक्त राक्षस राज रावण ने भी घोर तपस्या किया था। जिसके कारण इस पर्वत शिखर को रावण गिरी के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त हुई थी। जो बाद में रावण गिरी से रानगिर के रूप में परिवर्तित हो गया।

भगवती हरसिद्धि का यह पवित्र धाम मध्य प्रदेश के सागर नगर से दक्षिण पूर्व दिशा में 40 किलोमीटर दूर स्थित है। मंदिर तक जाने के लिए परिवहन की अच्छी सुविधा भी है। यह स्थान नॉर्थ साउथ कॉरिडोर के सागर नागपुर भाग में महामार्ग से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर और ग्राम दोनों ही देहार नदी के किनारे पर हैं। महामार्ग से ग्राम को जोड़ने वाली रोड देहार नदी के किनारे किनारे होकर जाती है। यह मार्ग सागौन तेंदू पलाश आदि के वृक्ष वाले जंगल से गुजरत हुई लहराती फसलों के बीच पवित्र देहार नदी के साथ चलती हुई मंदिर तक पहुंचती है।

1 या 2 किलोमीटर दूर से ही भगवती हरसिद्धि के मंदिर का शिखर दिखने लगता है। रानगिर सुरम्य वनप्रान्तर की गोद में बसा एक छोटा सा गांव है। इसी गांव के उत्तरी छोर पर देहार नदी के पूर्वी तट पर स्थित है माता हरसिद्धि का पुराना प्रसिद्ध मंदिर। मंदिर के परकोटे का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में है। प्रवेश द्वार से कुछ सीढ़ियां नीचे उतरकर हम इस मुख्य मंदिर के आंगन में पहुंचते हैं।

इस मंदिर का निर्माण दुर्ग शैली में हुआ है। बाहरी पैराकुटे से जुड़ा चौतरफा भीतरी बरामदा। इसी पर कोट के अंदर विराजमान है मां भगवती हरसिद्धि भगवती का दर्शन करते ही उनकी असीम करुणा एवं वात्सल्यता की रहस्यमई अनुभूति होती है। इस अनुभूति की कोई व्याख्या संभव नहीं है।

ऐसा कहा जाता है की मां की महिमा से प्रभावित होकर महाराजा छत्रसाल ने ही उनका यह भव्य मंदिर देहार नदी के पवित्र तट पर बनवाया था।

यह प्रतिमा अनगढ़ है। कहा जाता है रानगिर के पास ही एक अहीर का घर था जो की मां दुर्गा का परम उपासक एवं भक्त था। उसकी नन्ही बेटी प्रतिदिन पास के जंगल में गाय भैंस चराती थी। वहीं पर वह अपने सहेलियों के साथ में खेलती थी। उन्हीं बच्चियों में से एक ऐसी भी थी जो अहीर की बेटी को बहुत प्यार करती थी। वह उसे अपना खाना खिलाती थी और लौटते समय उसे चांदी के रुपए भी देती थी। उस देवी भक्ति अहीर को अपनी बेटी के सहेली को देखने की इच्छा हुई और उसने चुपचाप छुप कर देखना चाहा। उसने देखा कि देहार नदी के तटवर्ती पर्वत श्रृंखलाओं से एक दिव्य रूप निकली है। उसे यह भी अनुभव हुआ कि यह तो मेरी आराध्या साक्षात जगदंबा ही है। इसके उपरांत वह व्यक्ति श्रद्धा से वशीभूत होकर झुरमुट से निकलकर अपनी आराध्या दिव्य कन्या की ओर दौड़ा। परंतु दिव्या कन्या उसी समय वहां से अदृश्य हो गई और अपनी एक पाषाण मूर्ति को वहीं पर छोड़ दिया। इसके बाद भगवती ने अपने भक्त को स्वप्न में कहा कि उस मूर्ति के ऊपर छाया का प्रबंध कर दो। जब से वह मूर्ति वहीं पर है और मां भगवती की वहीं पर आराधना की जाती है।

नदी की दूसरी तरफ बूढी माता का मंदिर है। इस मंदिर में जाने के लिए दो मार्ग है। पहले मार्ग में आप नदी पार कर जाम से ही बुद्धि रामगढ़ मंदिर पहुंच सकते हैं। दूसरा रास्ता सागर रहली रोड से रोड पर जाकर बड़ौदा गांव के पास चौराहे से दाहिने तरफ मुड़कर पथरीले रास्ते से होते हुए हम बूढ़ी रानगिर मंदिर में पहुंच सकते हैं।

दोनो मंदिरों को जोड़ने के लिए एक झूला पुल बन रहा है जिसका भूमि पूजन स्थानीय विधायक एवं भूतपूर्व मंत्री माननीय गोपाल भार्गव जी एवं वर्तमान में मध्य प्रदेश शासन में मंत्री माननीय गोविंद सिंह राजपूत जी ने किया है। इससे दोनों मंदिरों के बीच में आने-जाने में सुविधा बढ़ जाएगी।

आप सभी से अनुरोध है की बुंदेलखंड के इस शक्तिपीठ और दिन में तीन बार अपना रूप बदलने वाली देवी के नवरात्रि में दर्शन कर अलौकिक सुख की प्राप्ति करें।

जय मां शारदा।

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments