डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 254 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

(शब्दाधारित सृजन )

जीवंत

सोच रहे है आज हम, होगा दुख का अंत।

आशाओं के दीप को, रखना तुम जीवंत।।

सरोजिनी

सरोजिनी मन में खिले, हुआ प्यार गुंजार।

देख तुम्हें लगने लगा, खिलते फूल हज़ार।।

पहचान

खिली-खिली है आज तू, प्यारी है मुस्कान।

आज तुम्हें तो मिल रही, अपनी ही पहचान।।

अथाह

संग मुझे तेरा मिले, अपनी ऐसी चाह।

मिलने को तुम आ रहे, मिलती ख़ुशी अथाह।।

अपनत्व

दिखता नहीं अपनत्व तो, जीना है बेकार।

मुझको अपना जान लो, कर लो मुझसे प्यार।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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