श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
(संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं अग्रज साहित्यकार श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव जी के गीत, नवगीत एवं अनुगीत अपनी मौलिकता के लिए सुप्रसिद्ध हैं। आप प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक स्तम्भ “जय प्रकाश के नवगीत ” के अंतर्गत नवगीत आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण एवं विचारणीय नवगीत “दिन का आगमन…” ।)
जय प्रकाश के नवगीत # 77 ☆ दिन का आगमन… ☆ श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव ☆
सात घोड़े वाले रथ पर
बैठकर निकला है सूरज
हुआ दिन का आगमन है।
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आँजुरी भर धूप लेकर
हवा गरमाई
किरन उजियारा लिये हर
द्वार तक आई
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काग बैठा मुँडेरों पर
बाँचता पल-पल सगुन है।
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भोर वाले ले सँदेशे
आ गया दिनकर
रात बैठी सितारों में
ओढ़ तम छुपकर
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दिन जली लकड़ी हवन की
साँझ शीतल आचमन है।
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पंछियों का चहचहाना
मंदिरों के शंख
उड़ रहे आकाश में हैं
मुक्त होकर पंख
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धार साधे बहे नदिया
लहर नावों पर मगन है।
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© श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
सम्पर्क : आई.सी. 5, सैनिक सोसायटी शक्ति नगर, जबलपुर, (म.प्र.)
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈