श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 313 ☆

?  आलेख – आपदा प्रबंधंन और सक्षम हो…  ? श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

आपदा प्रबंधंन का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि आज अनेक संस्थायें इस विषय में एम.बी.ए. सहित अनेक पाठ्यक्रम चला रहे है। जापान या अन्य विकसित देशों में आबादी का घनत्व भारत की तुलना में बहुत कम है। अतः वहाॅं आपदा प्रबंधंन अपेक्षाकृत सरल है। हमारी आबादी ही हमारी सबसे बड़ी आपदा है, किंतु दूसरी ओर छोटे-छोटे बिखरे हुए गांवों की बढी संख्या से बना भारत हमें आपदा के समय किसी बडे नुकसान से बचाता भी है।

आम नागरिकों में आपदा के समय किये जाने वाले व्यवहार की शिक्षा बहुत आवश्यक है। संकट के समय संयत व धैर्यपूर्ण व्यवहार से संकट का हल सरलता से निकाला जा सकता है। नये समय में प्राकृतिक आपदा के साथ-साथ मनुष्य निर्मित यांत्रिक आकस्मिकता से उत्पन्न दुर्घटनाओं की समस्यायें बडी होती जा रही है। जैसे भोपाल गैस त्रासदी हुई थी तथा हाल ही जापान में न्यूक्लियर रियेक्टर में विस्फोट की घटना हुई है। खदान दुर्घटनायें, विमान, रेल व सडक दुर्घटनायें आंतकवादी तथा युद्ध की आपदायें हमारी स्वंय की तेज जीवन शैली से उत्पन्न आपदायें है। प्राकृतिक आपदाओं में बाढ, चक्रवात, भूकंप, सुनामी, आग की दुर्घटनायें सारे देष में जब-तब होती रहती है। इनसे निपटने के लिये सामान्य प्रशासन, पुलिस, अग्निशमन व स्वास्थ्य सेवाओं को ही सरकारी तौर पर प्रयुक्त किया जाता है। जरूरत है कि आपदा प्रबंधंन हेतु अलग से एक विभाग का गठन किया जाये।

हवाई जहाज में बम की अफवाह ,फायर ब्रिगेड व एम्बुलेंस से झूठी खबरों के द्वारा मजाक करना, लोगो के असंवेदनशील व्यवहार का प्रतीक है। भेडिया आया भेडिया आया वाला मजाक कभी बहुत मंहगा भी पड सकता है। इंटरनेट, मोबाइल व रेडियो के माध्यम से आपदा प्रबंधंन में नये प्रयोग किये जा रहे है। हमें यही कामना करनी चाहिए कि आपदा प्रबंधंन इतना सक्षम हो जिससे दुर्घटनायें हो ही नहीं। जो लोग सोशल मीडिया की तेजी  का दुरुपयोग कर अफवाह फैलाने का कुकृत्य करने का दुस्साहस करते हैं उन्हें तुरंत कड़ी से कड़ी सजा की व्यवस्था ही उन्हें कुछ हद तक रोक सकती है।

© श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

म प्र साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ व्यंग्यकार

संपर्क – ए 233, ओल्ड मिनाल रेजीडेंसी भोपाल 462023

मोब 7000375798, ईमेल [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments