श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है कविता – मिट्टी वाले दिये जलाओ…। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 237 ☆
☆ मिट्टी वाले दिये जलाओ… ☆ श्री संतोष नेमा ☆
☆
मिट्टी वाले दिये जलाओ
हर गरीब का तमस मिटाओ
*
बैठ कुम्हारिन ताक रही है
ग्राहक अपने आंक रही है
आओ खरीद कर दिये उनके
उनका भी उत्साह बढ़ाओ
मिट्टी वाले दिये जलाओ
*
दिये में भी अब लगा सेंसर
पानी से जो जलता बेहतर
त्यागें अब चाइनीज दियों को
देशी को ही घर पर लाओ
मिट्टी वाले दिये जलाओ
*
गली-गली हर चौराहों पर
बिकते दिये हर राहों पर
इनके घर भी हो दीवाली
इनका भी सब हाथ बटाओ
मिट्टी वाले दिये जलाओ
*
हर घर में संतोष रहेगा
दिल में सबके जोश रहेगा
जब इनका दुख अपना समझें
तब मिलकर त्यौहार मनाओ
मिट्टी वाले दिये जलाओ
☆
© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
वरिष्ठ लेखक एवं साहित्यकार
आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 7000361983, 9300101799
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈