प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित – “राम का नित ध्यान है। हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे.।) 

☆ काव्य धारा # 203 ☆ राम का नित ध्यान है ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

पुण्य सलिला सरयू तट पर बसी शांति प्रदायानी

जन्म नगरी राम की है अयोध्या अति पावनी

*

स्वप्न पावन तीर्थ पुरियों में प्रथम जो मान्य है

सकल भारतवर्ष की है प्रिय सतत सन्मानिनी

*

सहन की जिसने उपेक्षा विधर्मी प्रतिकार की

सहेजे चुप रही मन में भावना उद्धार की

*

न्याय सदियों बाद पा रही नूतन सृजन

मन में आकाँक्षा सजाए राम के दरबार की

*

एक लंबी प्रतीक्षा के बाद आई है अब वह घड़ी

राम भक्तों के मन में भी मची है दर्शनों को हड़बड़ी

*

चाहते सब पूर्ण हो अब राम मंदिर का सृजन

जहां कर दर्शन प्रभु का पाए मन शांति बड़ी

*

राम हैं आदर्श जग के अपने सद व्यवहार से

सबके प्रिय औ’ पूज्य भी हैं सहज पावन प्यार से

*

विश्व को अनुराग उन पर उनके नित आदर्श पर

सभी मानव जाति को उनका सतत आधार है

*

सभी को सुख शांति दाई राम जी भगवान हैं

जिनको हर धर्मावलंबी व्यक्ति एक समान है

*

भेद छोटे बड़े का कोई दृष्टि में उनकी नहीं

हर एक की जीवन दशा पर सदा उनका ध्यान है

*

सदा सबका हो भला कोई ना कहीं विकार हो

दीन दुखियों का सदा कल्याण हो उद्धार हो

*

🙏💐जगत में सुख शांति सद्भावना विश्वास से प्राणियों के मनों में शुभकामना हो प्यार हो💐🙏

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments