श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “नफरतों के बीज बो दिए…” ।)

☆ तन्मय साहित्य  #256 ☆

☆ नफरतों के बीज बो दिए… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

थी जरा सी बात इसलिए

नफरतों के बीज बो दिए।।

 

लिया सूर्य से उबाल, चंदा से चतुराई

तारों के बहुमत से, उर्वर कुमति पाई,

धरती ने पोषित कर

पुष्पित पल्लवित किये

नफरतों के बीज बो दिए।

 

खरपतवारों ने, दायें-बायें साथ दिया

ईर्ष्यालु वायु के, झोंकों का नशा नया,

मदमाते लहराते

गर्वीले घूँट पिये

नफरतों के बीज बो दिए।

 

बीज सबल स्वस्थ उन्हें,अलग-अलग बाँट दिया

प्राकृत फसलों ने, आपस में प्रतिघात किया,

धरती की शुष्क दरारों को

अब कौन सिये

नफरतों के बीज बो दिए।।

 

खेतों में नई-नई, मेढ़ों की भीड़ बढ़ी

उपजाऊ माटी पर, अलगावी पीर चढ़ी,

संकट में नई पौध

कैसे निर्द्वन्द्व जिये

नफरतों के बीज बो दिए।।

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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