श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “इतिहास गवाह है।)

?अभी अभी # 558 ⇒ इतिहास गवाह है ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

काल का पहिया हमेशा घूमता ही रहता है, सुबह, दोपहर, शाम, अतीत, वर्तमान, और भविष्य काल। आपने पुराना रोड रोलर देखा होगा, सड़क बनाने वाला, जिसके लोहे के तीन पहिये होते थे। हम शिव की तरह त्रिकालदर्शी तो नहीं, शायद इसीलिए अज्ञेय को यह कठोर सच स्वीकारना पड़ा ;

हम सब

काल के दांतों तले

चबते चले जाते हैं,

च्यूइंग गम की तरह

कच, कच, कच,

बड़ा कठोर सच।।

अतीत में क्या हुआ, इतिहास गवाह है, वर्तमान हमारी आज की दुनिया है और हम ही इसके गवाह हैं और कल क्या होगा, यह केवल ईश्वर ही जानता है। अतीत के लिए हम भले ही इतिहास को कटघरे में नहीं बुला सकते, लेकिन इतिहास के पन्ने तो माय लॉर्ड, हकीकत बयां कर ही सकते हैं, इसीलिए हम कहते हैं, इतिहास गवाह है।।

अगर इतिहास केवल किसी किताब के कुछ पन्ने हैं, तो किताब के पन्ने फाड़े भी जा सकते हैं, संविधान की तरह उसमें संशोधन भी किया जा सकता है। और अगर गवाह होस्टाइल हो जाए, तो इतिहास गवाह की तरह बदला भी जा सकता है।

बी.आर. चोपड़ा एक क्रांतिकारी फिल्म लेकर आए थे, समाज को बदल डालो, कल आदित्य अथवा उदय चोपड़ा इतिहास को बदल डालो और संविधान को बदल डालो, जैसी फिल्में भी बना सकते है। इतिहास गवाह है, हमें कितना गलत इतिहास पढ़ाया गया है।।

जिस तरह दर्पण झूठ नहीं बोलता, इतिहास भी झूठ नहीं बोलता। लेकिन हमें इतिहास पर तो भरोसा है, गवाह पर नहीं। हम तो आईने से भी हमारी पहली सी सूरत मांगते हैं। कम से कम हमारा इतिहास तो खूबसूरत हो, जिस पर हम नाज़ कर सकें, इतरा सकें।

हम जानते हैं एक गवाह की तरह हमारे इतिहास को भी तोड़ मरोड़कर, विकृत तरीके से पेश किया गया है। हमने बी.आर.चोपड़ा की महाभारत भी देखी है, जिसमें हरीश भिमानी कहते हैं, मैं समय हूं। हम समय के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते। आज समय हमारी मुट्ठी में है। हम अगर समय को बदल सकते हैं तो इतिहास को भी बदल सकते हैं।।

नया इतिहास लिखने के दिन आ गए। एक नया स्वर्णिम इतिहास, जिसमें हमारा अतीत भी सुंदर था, वर्तमान भी श्रेष्ठ ही है और भविष्य तो सर्वश्रेष्ठ होगा ही। हिम्मते केवल मर्द ही नहीं, हर महिला और बच्चा बच्चा भी।

क्या आपको पूत के पांव पालने में नजर नहीं आ रहे। अच्छे दिन ही तो वह सिल्वर स्पून है, जो आज की पीढ़ी अपने मुंह में लेकर पैदा हुई है। हमारा देश सोने की चिड़िया था, सोने की चिड़िया है, और सोने की चिड़िया ही बना रहेगा, ईश्वर गवाह है। कोई शक ? जय हिन्द ..!!

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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