डॉ राकेश ‘चक्र’
(हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी की अब तक कुल 148 मौलिक कृतियाँ प्रकाशित। प्रमुख मौलिक कृतियाँ 132 (बाल साहित्य व प्रौढ़ साहित्य) तथा लगभग तीन दर्जन साझा – संग्रह प्रकाशित। कई पुस्तकें प्रकाशनाधीन। जिनमें 7 दर्जन के आसपास बाल साहित्य की पुस्तकें हैं। कई कृतियां पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, अंग्रेजी आदि भाषाओँ में अनूदित । कई सम्मान/पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा बाल साहित्य के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य श्री सम्मान’ और उत्तर प्रदेश सरकार के हिंदी संस्थान द्वारा बाल साहित्य की दीर्घकालीन सेवाओं के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य भारती’ सम्मान, अमृत लाल नागर सम्मान, बाबू श्याम सुंदर दास सम्मान तथा उत्तर प्रदेश राज्यकर्मचारी संस्थान के सर्वोच्च सम्मान सुमित्रानंदन पंत, उत्तर प्रदेश रत्न सम्मान सहित पाँच दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं गैर साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित एवं पुरुस्कृत।
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आप “साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र” के माध्यम से उनका साहित्य प्रत्येक गुरुवार को आत्मसात कर सकेंगे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र – # 234 ☆
☆ बाल गीत – ज्ञानवर्धक कविता पहेली – बूझो तो जानें… ☆ डॉ राकेश ‘चक्र’ ☆
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दक्षिण ध्रुव की बर्फ में रहता
सागर में खाता गोता।
पंख नहीं वह न उड़ सकता
पक्षी है सबको मोहता।
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बर्फ पर चलता अंडे देता
कूद-फाँद वह कर सकता।
सागर की तलहटी चूमे
मित्र मनुज का बन सकता।
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दाँत नहीं हैं इसके होते
चोंच से करता सदा शिकार।
आधा धवल , शेष है काला
रोचक है इसका संसार।
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कई प्रजाति इसकी होतीं
अन्टार्कटिका है मुख्य स्थान।
बर्फ है इसकी जीवन साथी
पूँछ , पैर है इसकी शान।
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दुर्गम क्षेत्र ढके बर्फ से
वहीं बसाता सदा बस्तियाँ।
अधिक ठंड में झुंड में रहता
करता रहता खूब मस्तियाँ ।
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पच्चीस अप्रैल दिवस संरक्षण
अंतिम अक्षर उसके इन।
रोचक है पेंगु की दुनिया
जलवायु परिवर्तन से खिन।
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उत्तर – पेंगुइन पक्षी।
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© डॉ राकेश चक्र
(एमडी,एक्यूप्रेशर एवं योग विशेषज्ञ)
90 बी, शिवपुरी, मुरादाबाद 244001 उ.प्र. मो. 9456201857
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈