श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “मिलकर बात करो…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 203 ☆
☆ # “मिलकर बात करो…” # ☆
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जीवन में रिश्ते हैं अनमोल
इन पर ना आघात करो
छोड़ो झूठी शान
आओ मिलकर बात करो
सदियों से
धरा तुम्हारी गगन तुम्हारा है
खेत खलिहान तुम्हारा है
पसीना बहाता है मजदूर
पर फसल और धान तुम्हारा है
इन मेहनतकश धरती पुत्रों का सम्मान करो
इनके बेहतर हालात करो
आओ मिलकर बात करो
तुमने बंद कर दिए हैं
आगे बढ़ने के हर रास्ते
हमने भी खाए हैं
जख्म हंसते-हंसते
शिक्षा महंगी हो गई
जीवन मूल्य हो गए सस्ते
शिक्षा व्यापार हो गई
प्रतिभा बेकार हो गई
यह खेल बंद करो
तुम ईश्वर से डरो
तुम पश्चाताप करो
आओ मिलकर बात करो
तुमने हमारे हर सपने को तोड़ा है
लालच देकर अपने तरफ मोड़ा है
उपभोग कर निर्जीव छोड़ा है
इन मुर्दों में अभी जान बाकी है
वक्त आने पर इन्होंने पाषाणों को फोड़ा है
तुम इंसाफ करो
अपने मन को साफ करो
अपने पापोंका प्रायश्चित
अब दिन रात करो
छोड़ो झूठी शान
आओ मिलकर बात करो /
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© श्याम खापर्डे
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