सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम गीत – बावरा मन चाहता…।
रचना संसार # 36 – गीत – बावरा मन चाहता… ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
☆
बावरा मन चाहता प्रभु प्रेम ही संसार में।
अब किनारा भी दिखादो, डूबते मझधार में।।
*
प्रेम की सौगात ढूँढे ,हम बिछे इन शूल में।
साथ बस उल्लास हो अब भावना के मूल में।।
छल कपट का बोलबाला झूठ की सत्ता सजे।
मौन बैठा ये गगन पाखंड की वंशी बजे।।
द्वेष कटुता ही बसी हिय,क्या रखा सत्कार में।
बावरा मन चाहता प्रभु प्रेम ही संसार में।।
*
धर्म को सब भूलते गठरी भरी है पाप की।
लोभ की सत्ता रहे ये नित्य ही संताप की।।
अब कहाँ रिश्ते रहे हैं डोर टूटी आस की ।
भूलते निज कर्म को सब छोड़ गति विश्वास की।।
सब मनुज ने अब गँवाया जान लो इंकार में।
बावरा मन चाहता प्रभु प्रेम ही संसार में।।
*
दुष्टता बढ़ती धरा में फैलता व्यभिचार है।
त्याग का अब नाम क्या जीवन बना अब भार है।।
शांति अरु सदभाव रूठे देख कैसी ये घड़ी।
रक्तरंजित है डगर आहत हुई आत्मा बड़ी।।
तार दो रघुनाथ हमको हम खड़े हैं द्वार में।
बावरा मन चाहता प्रभु प्रेम ही संसार में।।
☆
© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)
संपर्क –1308 कृष्णा हाइट्स, ग्वारीघाट रोड़, जबलपुर (म:प्र:) पिन – 482008 मो नं – 9424669722, वाट्सएप – 7974160268
ई मेल नं- [email protected], [email protected]
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकश पाण्डेय ≈