श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे ”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 161 – मनोज के दोहे ☆
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मौसम कहता है सदा, चलो हमारे साथ।
कष्ट कभी आते नहीं, खूब करो परमार्थ।।
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जीवन में बदलाव के, मिलते अवसर नेक।
अकर्मण्य मानव सदा, अवसर देता फेक।।
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कुनकुन पानी हो तभी, तब होंगे इसनान।
कृष्ण कन्हैया कह रहे, न कर, माँ परेशान।।
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सूरज कहता चाँद से, मैं करता विश्राम।
मानव को लोरी सुना, कर तू अब यह काम।।
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कर्मठ मानव ही सदा, पथ पर चला अनूप।
थका नहीं वह मार्ग से, हरा सकी कब धूप ।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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