श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 117 ☆ देश-परदेश – करे कोई भरे कोई ☆ श्री राकेश कुमार ☆
जुड़वां भाइयों में जब शक्ल मिलती है, तो ये अक्सर सुनने में आता है, कि शैतानी एक भाई करता है, और दंड दूसरे भाई को मिलता है। हमारी फिल्मों में भी ऐसा ही कुछ दिखाया जाता है, लड़की प्रेम एक भाई से करती है, और घूमने दूसरे भाई के साथ निकल जाती है। सीता और गीता नाम से भी एक ऐसी ही फिल्म आई थी। कुंभ में जुड़वा भाई गुम जाते है, एक ईमानदार तो दूसरा बेईमान बन जाता है। ये सब हमारे बॉलीवुड में ही होता है।
अब जब बात फिल्मों की हो रही है, तो मुम्बई का जिक्र ना हो, ये कैसे हो सकता हैं। मुम्बई और फिल्म जगत एक दूसरे के पूरक हैं। कुछ दिन पूर्व ही नवाब ऑफ पटौदी पर हुए हमले के सिलसिले में छत्तीसगढ़ के दुर्ग शहर में एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ा गया, क्योंकि उसकी शक्ल सी सी टीवी कैमरे की तस्वीर से जो मिलती थी।
कुछ समय बाद उस संदिग्ध व्यक्ति को छोड़ दिया गया था। मीडिया ने उसको सभी चैनल पर दिखवाकर उसका खूब प्रचार प्रसार कर डाला था। मीडिया ट्रायल में उसको दोषी भी मान लिया था।
जब पुलिस ने उसको बरी किया तब तक उस व्यक्ति की मुम्बई की नौकरी चली गई है। नियोक्ता ने ये विचार किया होगा, पुलिस उससे आगे भी जिरह कर सकती है, इत्यादि। इन सबसे अच्छा है, उसको नौकरी से ही निकाल दो।
मामला इतना सीधा नहीं है, उस व्यक्ति का विवाह भी तय हो चुका था। अब उसकी सगाई भी टूट गई है। जीवन भर का दाग लग गया है। आने वाले समय में उसकी पहचान के साथ “सैफ का नकली कातिल” जैसे जुमले जुड़ जाएंगे।
© श्री राकेश कुमार
संपर्क – B 508 शिवज्ञान एनक्लेव, निर्माण नगर AB ब्लॉक, जयपुर-302 019 (राजस्थान)
मोबाईल 9920832096
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈