डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं एक भावप्रवण रचना वतन के गीत।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 265 – साहित्य निकुंज ☆
☆ वतन के गीत ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
(मुक्तक गीत)
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जो तिरंगे की छांव को पाता गया
देश सेवा के रंग में रंगता गया।
वह लहू बनके बहता रहा प्यार में
मातृभूमि की मिट्टी में रमता गया।
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जिसकी सांसों में वीरता बसती रही
हौसले की मशालें जलाता गया
उसकी गाथा के गीत समय सुन रहा
वो वतन के लिए मुस्कुराता गया।
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जो तिरंगे के चरणों में लिपटा रहा
उसका जीवन सुधरता चला ही गया
मातृभूमि की मिटटी से रिश्ता अमर
देश सेवा का दीपक जलाता गया .
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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