डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं आपका  गीत – बसंत)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 266 – साहित्य निकुंज ☆

☆ गीत – बसंत ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

जो पिया की नजर प्यार से पा गया   

बसंती पवन संग लहरा गया.

*

 सज रही है धरा में पीली चुनरी

हवा में मधुर घोल  घुलता गया

गीत गाती टहनियां झूमती बाग़ में

बाहों में आके तेरी सिमटता गया

*

सजी धूप पीली लहर खेत में

गुलाबो में प्यार का रंग छा गया

गगन की भी रंगत निखरने लगी

रंग बसंत का बातों में आता गया  .

*

झनझनाती है पायल कहे चूड़ियाँ

राग कोयल की मैं गुनगुनाता गया

चली है हवा सनसनी प्यार की

बसंती बयार में खोता गया..

*

सुन रहे हो मेरे प्यार के गीत को

भावों की मैं सरिता सजाता  गया

ओढ़ ली है बसंती चुनरिया तूने

मैं तो तेरी ही सुध में  खोता गया।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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