श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “जीत मिलती है उसे सच मानो…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 94 ☆
जीत मिलती है उसे सच मानो… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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मेरे रब का जो इशारा होगा
तब तलातुम में किनारा होगा
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खेलने में न समझदारी है
खाक़ में कोई शरारा होगा
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मर गया है जो न सोचो वो नहीं
देखता बनके सितारा होगा
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नग की चोटी पे फले फूले है
किसकी रहमत ने सँवारा होगा
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एक ही बार में कर ली तौबा
इश्क़ मुझसे न दुबारा होगा
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उसका अपमान कभी हो सकता
क़र्ज़ जिसने न उतारा होगा
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जीत मिलती है उसे सच मानो
हार से जिसने उबारा होगा
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माँगना हक़ था उठा कर सर को
हाथ को तुमने पसारा होगा
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नाम तो होगा न होगी इज़्ज़त
बह्र जैसा जो तू खारा होगा
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अय अरुण आँख न दिखला हमको
अपना प्रतिकार करारा होगा
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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