☆ सूचनाएँ/Information ☆
(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
☆ प्रयोगशील लघुकथाएं आमंत्रित – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश करेंगे शिरकत ☆
(1) एक या दो लघुकथा और
(2) इनमें आपने अपना प्रयोग किस स्तर पर किया है?
भाषा, शिल्प, कथ्य, कहन, शैली आदि किस स्तर पर और किस तरह का प्रयोग किया हैं?* (कम से कम 200 शब्दों में और अधिकतम 1000 शब्दों में लिखें।)
सभी साहित्यप्रेमी लघुकथाकारों, लेखकों और रचनाकारों से आग्रह है कि वे अपनी प्रयोगशील लघुकथाओं को हमारे साथ साझा करें। हम वरिष्ठ, कनिष्ठ, मध्यम श्रेणी के साहित्यकारों और नवोदित लेखकों से, जिन्होंने अभी लघुकथा लिखना आरंभ किया हो, उन सभी से समान रूप से लघुकथाएं आमंत्रित करते हैं। चाहे आप एक अनुभवी साहित्यकार हों या लिखने की यात्रा शुरू कर रहे हों, आपकी प्रयोगशील लघुकथाएं का मौलिकता और रचनात्मकता के साथ का स्वागत करते हैं।
लघुकथा और उसकी प्रयोगशीलता —-
आप किसी भी वर्ग या श्रेणी के लघुकथाकार हैं, आप अपनी दो-दो लघुकथाएं भेज सकते हैं। प्रयोगशील लघुकथा के साथ अपना मंतव्य भेजना अनिवार्य है। आपने यह लघुकथा कब, क्यों और कैसे लिखी? अर्थात यह लघुकथा दिमाग में कैसे आई और किस प्रक्रिया के तहत कागज पर उतरी हैं? इसमें आपने अपना प्रयोग किस स्तर पर किया है? भाषा, शिल्प, कथ्य, कहन, शैली आदि किस स्तर पर और किस स्तर का प्रयोग किया हैं? यह बताना अनिवार्य है।
निर्देश:
- आपकी लघुकथाएं मौलिक, प्रकाशित और अप्रकाशित हो सकती हैं।
- लघुकथा भेजने के बाद, कम से कम 8 महीने तक पत्राचार न करें, क्योंकि यह एक लंबी और शोध आधारित प्रक्रिया है।
- चयनित रचनाओं को एक शोधग्रंथ या पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जाएगा।
प्रकाशन प्रक्रिया:
इस प्रक्रिया के अंतर्गत सभी श्रेणियों की लघुकथाएं का चयन होगा। यह पुस्तक विशिष्ट प्रक्रिया और रचनात्मकता को नई पहचान देगी, बल्कि साहित्य जगत में लघुकथाओ के योगदान को भी रेखांकित करेगी।
आवश्यक जानकारी:
- अंतिम तिथि: इस सूचना के प्रकाशन के 15 दिन तक
- शब्द सीमा: लघुकथा के अनुसार।
- रचना भेजने का माध्यम: [email protected]
आइए, इस रचनात्मक यात्रा का हिस्सा बनें और अपनी (1) एक या दो लघुकथा और (2) इसमें आपने अपना प्रयोग किस स्तर पर किया है? भाषा, शिल्प, कथ्य, कहन, शैली आदि किस स्तर पर और किस तरह का प्रयोग किया हैं? को हमारे साथ सांझा करें।
≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈
अच्छा प्रयोग!
शुभकामनाएं!