डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं – भावना के दोहे – नारी।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 268 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे – नारी ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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ममता का भंडार है, स्नेह बहाए नीर।
रखती सबका ख्याल है, रहती वही अधीर ।।
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त्याग, तपस्या, प्रेम का, नारी है वरदान।
जग जननी संसार की, यह नारी की शान ।।
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शील, सती, ममता भरी, अनुपम हैं हर रूप।
सहनशीलता, त्याग की, मूरत बड़ी अनूप ।।
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नारी में दिखता सदा, देवी का अवतार।
रणचंडी का रूप है, उसमें शक्ति अपार।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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