श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “सुख और दुख…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 209 ☆
☆ # “सुख और दुख…” # ☆
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सुख और दुख की अलग ही माया है
इसे कोई समझ नहीं पाया है
कभी कुछ पल हंसाया
तो कभी कुछ पल रुलाया है
सुख कहां स्थाई रहता है
जल की धारा की तरह बहता है
फुहारों से सबको भिगोता है
इसी भ्रम में व्यक्ति
जीवनभर सबकुछ सहता है
दुख का अलग ही मजा है
लगता है कि वह एक सजा है
पर वह जीने की कला सिखाता है
और हम परेशान बेवजां है
जीने के लिए दोनों जरूरी है
इनके बिना जिंदगी अधूरी है
दोनों साथ-साथ चलते हैं
इनमें बस क्षण भर की दूरी है
खुशी हो या गम जब बरसता है
हर चेहरे पर वह झलकता है
कभी मायूस होता है चेहरा
तो कभी फूलों सा महकाता है
मानव की कभी जीत तो कभी हार है
जीवन का बस यही सार है
सुख तो कुछ पल का साथी है
दुखों से भरा तो यह संसार है
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© श्याम खापर्डे
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