सुश्री सीतालक्ष्मी खत्री
संक्षिप्त परिचय
आप भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। बैंक की प्रतिनिधित्व में कई अंतर बैंक, अंतर संस्था आयोजित स्पर्धाओं में आपके सभी सहभाग पुरस्कार से सम्मानित है । विभिन्न बैंक की पत्रिकाओं में आपके लेख और कविताएं प्रकाशित हैं। आकाशवाणी पुणे में आपके काव्यपाठ सत्र प्रसारित हैं। अनुवाद विधा में भी आपका सराहनीय योगदान है।
LWG. मंच से लिटफेस्ट 2.0 से आप जुड़ी है। इस मंच से लिटफेस्ट की हिंदी काव्य स्पर्धा, जनवरी माह की ऑनलाइन काव्य स्पर्धा , फरवरी माह की हिंदी काव्य लाइव प्रस्तुति, मार्च महीने की ऑनलाइन काव्य स्पर्धा में आपकी प्रविष्टियों को पुरस्कार और सम्मान प्राप्त है।
☆ ~ ‘परछाइयां…’ ~ ☆ सुश्री सीतालक्ष्मी खत्री ☆
(लिटररी वारियर्स ग्रुप द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार प्राप्त कविता। प्रतियोगिता का विषय था >> “परछाइयां” /Shadows”।)
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जिंदगी की दौड़ धूप में चलते-चलते,
मैंने देखा कोई मेरे
कभी साथ तो कभी पीछे और कभी आगे
चल रहा है।
वो अनजाना, अनदेखा था ज़रूर
पर मित्र और हितैषी सा लगा,
लगा जैसे उसको परवाह है मेरी,
ख्याल मेरा रखना
अपना फ़र्ज़ मान रहा है जो..
आश्चर्य हुआ मुझे इस अद्भुत बंधु से,
जो अनेक रूप धारण करते-करते,
ढलती सूरज और दिन की पूर्ति में
कभी अदृश्य भी हो जाता, मानो,
चांद की ठंडक का आनंद मैं लूट सकूं,
प्यार के पलों को पूरी तरह जी सकूं,
चमकती तारों के बीच
खुद की रोशनी मैं जान सकूं,
अपना प्रकाश मैं औरों में बांट सकूं..
धूप- छांव का वस्त्र बदलता आसमां,
मेरे इस सखा से भी वस्त्र बदलवाता,
जो कभी लम्बा और कभी बौना होता,
जताता अपनी कद और आकार से,
जिंदगी के उतार -चढ़ाव का तत्व-
मंजिल दूर हो और मार्ग में तपन,
मुझे चलना है फिर भी ,तो
हो लेता मेरे साथ, मेरी परछाईं बन,
मेरी पहरेदारी के लिए।
मेरी सफलता दर्ज़ करने के लिए…!!
मेरी सफलता दर्ज़ करने के लिए !!!
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~ सुश्री सीतालक्ष्मी खत्री
© सुश्री सीतालक्ष्मी खत्री
पुणे