श्री भगवान वैद्य ‘प्रखर’
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(विगत दिवस श्री भगवान वैद्य ‘प्रखर’ जी ‘महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित हुए)
💐 ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से उन्हें हार्दिक बधाई 💐
☆ मराठी कविता – परचा… – सौ. उज्ज्वला केळकर ☆ हिन्दी भावानुवाद – श्री भगवान वैद्य ‘प्रखर’ ☆
सौ. उज्ज्वला केळकर
नाद…घंटा नाद
निरंतर टकराता हुआ
नादब्रह्म का विस्तारित वृत्त
छू गया…कान …मन…अंगुली
कलम के सिरे को…
आधा परचा हो गया लिखकर।
काफी है इतना…पैंतीस अंकों के लिए!
डिग्री और नौकरी हासिल करने के लिए
क्लर्क की…या प्यून की तो भी…
शेष परचा तौल पर है
प्रतिकूल समय में दमा-ग्रस्त मम्मी के दुख पर
बढ़ी हुई आयु की बहन की धुंधुवाती उम्मीदों पर …
नन्हें भाई-बहनों के झुलसते हरित स्वप्नांकुरों पर…
पीछे के बेंच से कंपास की नोंक
सट गयी है पीठ से
बदलता जा रहा है उसका स्वरूप
आकुल है वह
धारदार नुकीला छुरा बनने के लिए ।
पांव की पिंडली के पास उसके मालिक का
कोरा परचा फड़फड़ा रहा है
सुपवाइजर की दक्ष-दृष्टि
क्लास-रूम के दरवाजे के पार टिकी हुई है
(इस देखने या न देखने की कीमत भी होगी शायद
दस…बीस …चालीस…पचास !)
अब ले ही लेना चाहिए मुझे
पीछे का परचा लिखने के लिए
एक घंटा पचास मिनट हैं अभी शेष
होना ही चाहिए पूरा परचा लिखकर
उसके मालिक को प्रथम पांच में जो आना है!
कम्पेटिटिव-इक्जैम के लिए आजमाइश …
कम- अज-कम एम-कॉम के लिए एडमिशन !
मुझे केवल इतना ही करना है
उसका परचा लिखकर देना है
उसके द्वारा दिये गये परीक्षा-शुल्क के एवज में…।
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मूल कविता – सौ. उज्ज्वला केळकर
पता – वसंतदादा साखर कामगारभवन के पास, सांगली 416416
मो. 9403310170 Email-id – [email protected]
भावानुवाद – श्री भगवान वैद्य ‘प्रखर’
30, गुरुछाया कालोनी, साईंनगर, अमरावती 444607
संपर्क : मो. 9422856767, 8971063051 * E-mail: [email protected] * web-site: http://sites.google.com/view/bhagwan-vaidya
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈