श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “एक नई दास्तां…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 214 ☆
☆ # “एक नई दास्तां…” # ☆
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यह कैसी हवा आजकल बह रही है
एक नई दास्तान हम सब से कह रही है
मुरझाई हुई हर कली हर चमन है
कशमकश में उलझा हुआ पवन है
खामोश खड़ा चुप सा गगन है
आंसुओं में डूबे सबके नयन हैं
आहत भावनाएं सब कुछ सह रही है
एक नई दास्तान हम सब से कह रही है
जकड़ी हुई हैं उमंगों की बांहें
कांटो भरी हैं सपनों की राहें
कैसे कोई अब वादों को निभाए
तरसती खड़ी है अपनों की निगाहें
मन मंदिर की दीवारें हर पल ढह रही हैं
एक नई दास्तान हम सब से कह रही हैं
कुछ दिलों में यह कैसी लहक है
कुछ चेहरों पर यह कैसी चहक है
कुछ युवाओं में यह कैसी बहक है
कुछ बुझती आंखों में कैसी दहक है
छुपी हुई आग इनके अंदर रह रही है
एक नई दास्तान हम सब से कह रही है
काली घटाएं धरती पर छा रही है
तूफान आने की एक आहट आ रही है
बिजलियां चमककर संदेश ला रही है
दिशाएं खुशी में गीत गा रही है
समंदर की लहरें निर्भय बह रही है
एक नई दास्तान हम सब से कह रही है
यह कैसी हवा आजकल बह रही है
एक नई दास्तान हम सब से कह रही है
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© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
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