श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 127 ☆ देश-परदेश – पुरानी यादें: हमारा बजाज ☆ श्री राकेश कुमार ☆
साठ के दशक में इटली का लैंब्रेटा, देश की सड़कों का बेताज बादशाह हुआ करता था। देश के औद्योगिक घराने “बजाज ग्रुप” ने लैंब्रेटा को ऐसी टक्कर दी, वो देश से नौ दो ग्यारह हो गया।
बजाज स्कूटर एक समय में मिनी कार का काम किया करता था। सत्तर के दशक में जब परिवार नियोजन का नारा “हम दो हमारे दो” का प्रचार आरंभ हुआ, तो बजाज ने नए परिवार की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, “हमारा बजाज” स्कूटर लंबे समय तक देश की सड़कों का सरताज बना रहा। कई खिलाड़ी उसके मुकाबले में आए जैसे कि विजय सुपर, फाल्कन आदि, लेकिन बजाज का सामना करने में असफल रहे। वो तो बाद में मोटर साइकिल ने स्कूटर को तो प्राय-प्राय सड़कों से शून्य तक पहुंचा दिया।
हमने भी बजाज के “चेतक” नामक ब्रांड को सिल्वर जुबली मना कर विदा किया था। उसके साथ के कुछ स्कूटर आज भी जुगाड के रूप में “मालवाहक” के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
हमारे एक मित्र तो बजाज का “प्रिया” ब्रांड का स्कूटर चार दशक से अधिक पुराने मॉडल को प्रतिदिन घर से बाहर निकाल कर इसलिए रख देते हैं, ताकि उनके घर के बाहर कोई दूसरा अपनी कार पार्क ना कर सके। वैसे उनका स्कूटर स्टार्ट हुए भी दो दशक हो चुके हैं। हद तो तब हो गई, जब उन्होंने अपने बच्चों के वैवाहिक बायो डाटा में एसेट्स के नाम पर अपने स्कूटर तक का जिक्र भी कर दिया था।
उपरोक्त फोटो एक कॉलेज के पुराने मित्र ने मियामी (अमेरिका) से प्रेषित की है, जो वहां के एक स्थानीय अमरीकी भोजनालय की है। वहां पर बजाज स्कूटर एक शो पीस का काम कर रहा है। उसने तो मज़ाक मज़ाक में ये भी कह दिया कि यदि हमारा चार दशक पुराना चेतक स्कूटर उपलब्ध हो तो उसे भी अमेरिका के किसी भोजनालय में उचित सम्मान और दाम मिल जायेगा।
© श्री राकेश कुमार
संपर्क – B 508 शिवज्ञान एनक्लेव, निर्माण नगर AB ब्लॉक, जयपुर-302 019 (राजस्थान)
मोबाईल 9920832096
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈