श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 128 ☆ देश-परदेश – चलती ट्रेन में सुविधाएं ☆ श्री राकेश कुमार ☆
विगत 16 अप्रैल के दिन ही वर्षों पूर्व, पहली भारतीय रेल यात्रा आरंभ हुई थी। उसी को यादगार बनाने के लिए मुम्बई और मनमाड़ के मध्य चलने वाली “पंचवटी एक्सप्रेस” के अंदर बैंक ने ATM सुविधा भी आरंभ कर दी हैं। यात्रियों के लिए एक बहुत बड़ी सुविधा और स्टेशन पर कार्यरत स्टाफ भी इस सुविधा का लाभ ले पाएगा।
ट्रेन में यात्रियों को खरीदारी करने या जुआ खेलने के लिए धन राशि की आवश्यकता की आपूर्ति के लिए ये सुविधा एक मील का पत्थर साबित होगी।
सबसे पहले चलती ट्रेन में आप क्या क्या खरीद सकते है, इस पर चर्चा कर लेनी चाहिए। चलती ट्रेन में खान पान की सुविधा का लाभ उठाने के लिए लोगों को अब धन की कमी आड़े नहीं आएगी। यात्रा में बीच के स्टेशन पर अनेक बार स्थानीय पदार्थ जिसमें फल और सब्जी मुख्य है, सस्ते भाव पर उपलब्ध होते हैं। स्थानीय कलाकार हस्त निर्मित वस्तुएं भी चलती ट्रेन में या बीच के स्टेशंस पर मिल जाती हैं।
मुम्बई की लोकल ट्रेन में इतनी अधिक भीड़ होती है, कि, कई बार चींटी भी नहीं घुस पाती है, फिर भी विक्रेता आप को स्टेशनरी, फल, किताबें आदि बेच कर चला जाता हैं। महिलाओं के कोच में भी सिलाई, बुनाई, मेकअप आदि से लेकर पूरी रेंज लोकल ट्रेन में मिल जाती हैं। महिलाओं से ठसाठस भरी हुई ट्रेन में पुरुष विक्रेता अपना रास्ता वैसे बना लेता है, जैसे पहाड़ों के मध्य से जल अपनी निकासी का मार्ग बना लेता हैं।
चलती ट्रेन में प्रतिबंधित मदिरा भी खाद्य पदार्थ विक्रेता प्रीमियम पर उपलब्ध करवाने की क्षमता रखते हैं। इसका भुगतान वो नगद राशि में ही स्वीकार करते हैं। ऐ टी एम सुविधा आरंभ हो जाने से इस व्यवसाय में भी वृद्धि होगी।
जेब कतरे भी अब ट्रेन के अंदर ही अपने कारोबार को अंजाम दे सकेंगे। वो लोग मंथली पास बनवाकर यात्रा करेंगे, ताकि व्यापार करने की लागत कम की जा सकें।
आने वाले समय में ट्रेन के अंदर “नाई का सैलून” भी खुल सकने की प्रबल संभावना हैं। आगे आगे देखिए रेलवे नई नई सौगातों की झड़ी लगा देगा, बस सिर्फ भीड़ होने के कारण, बैठने के लिए उचित स्थान नहीं उपलब्ध हो पायेगा।
© श्री राकेश कुमार
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