श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी समसामयिक विषय पर एक भावप्रवण कविता “पहलगाम में फिर दिया…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 173 – पहलगाम में फिर दिया… ☆
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पहलगाम में फिर दिया, आतंकी ने घाव।
भारत को स्वीकार यह, नर्किस्तानी ताव।।
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इजराइल के दृश्य को, उनने दिया उभार।
निर्दोषों का खून कर, पंगा लिया अपार।।
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भारत की जयघोष से, मोदी का फरमान।
घर के भेदी क्यों बचें, पहुँचे कब्रिस्तान।।
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बुलडोजर अवतार यह, नंदी का ही रूप।
शिव का अनुपम भक्त है, लगता बड़ा अनूप।।
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आतंकी के सामने, लड़ता सीना तान।
काशमीर में मुड़ गया, टूटेगा अभिमान।।
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धौंस सुना परमाणु का, डरा रहा बेकार।
अलग हुआ पर क्या किया, जनता का उद्धार।।
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बच्चों की मुख चूसनी, कब तक देगी स्वाद।
स्वप्न बहत्तर हूर का, कब्रिस्तानी खाद।।
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भारत को सुन व्यर्थ ही, दिलवाता है ताव।
फिर से यदि हम ठान लें, गिन न सकेगा घाव।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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