डॉ कुन्दन सिंह परिहार
जो लोग व्यंग्य को मनोरंजन का साधन समझते हैं वे व्यंग्य की वास्तविक प्रकृति को नहीं समझते । व्यंग्य -लेखन ज़िम्मेदारी का काम है , यह हल्केपन से ली जाने वाली चीज़ नहीं है । हरिशंकर परसाई जैसे लेखकों ने अपनी सशक्त रचनाओं के माध्यम से पाठकों के समक्ष व्यंग्य के सही रूप को प्रस्तुत किया । उनकी रचनाएँ सिर्फ सिखाती ही नहीं है वे व्यंग्यकारों की अगली पीढ़ी के लिए चुनौती भी प्रस्तुत करती है । परसाई ने व्यंग्य लेखन को गंभीर कर्म माना ।
(श्री जय प्रकाश पाण्डेय)
एक अच्छे व्यंगकार में अनेक गुण अपेक्षित हैं । पहले तो व्यंग्यकार संवेदनशील हो, ओढ़ी हुई करुणा से सार्थक व्यंग्यलेखन नहीं होगा । दूसरे उसकी द्रष्टि सही हो । रूढ़ीवादी और अवैज्ञानिक सोच वाले लेखकों के लिए व्यंग्य को साधना कठिन है । लेखक की अभिव्यक्ति प्रभावशाली होनी चाहिए । लेखन शैली ऐसी हो जो पाठक को बांधे और साथ ही उसे सोचने को बाध्य करे । व्यंग्य का उद्देश पाठक का मनोरंजन करना नहीं हो सकता ।
पुस्तक – डांस इण्डिया डांस ( व्यंग्य-संग्रह)
लेखक – श्री जय प्रकाश पाण्डेय
प्रकाशक – रवीना प्रकाशन, नई दिल्ली
मूल्य – रु 300/-
प्रस्तुत व्यंग्य -संकलन के लेखक श्री जय प्रकाश पाण्डेय अनेक वर्षों से व्यंग्यलेखन मे सक्रिय हैं । वे कई वर्षों तक स्टेट बैंक में सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं और अपने सेवाकाल में उन्हे शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों के सभी वर्गों के लोगों के जीवन को निकट से देखने का अवसर मिला है । एक बैंकर से अधिक सामान्य लोगों की समस्याओं को कौन बेहतर समझ सकता है, बशर्ते की उसके पास संवेदनशील मन हो । पाण्डेय जी से हमारे कई वर्षो के संबंध से यह समझने का अवसर मिला कि मुहावरे के अनुसार उनका दिल सही जगह पर है और देश के करोड़ों वंचितों और लाचार लोगों के लिए उनके हृदय में पर्याप्त हमदर्दी है । यह हमदर्दी ही लेखक को वंचितों, पीड़ितों का प्रतिनिधि और उनकी आवाज़ बना देती है ।
इस संग्रह के विषयों पर दृष्टि डालें तो पता चलता है की लेखक ने आज की सभी ज्वलंत समस्याओं को छुआ है । विषयों के चुनाव और उनके ‘ट्रीटमेण्ट’ से लेखक की पक्षधरता और उसकी संवेदनशीलता ज़ाहिर होती है । जीवन के प्रति लेखक का दृष्टिकोण उसकी रचनाओं से पकड़ मे आ जाता है, वहाँ ‘साफ छिपते भी नहीं सामने आते भी नहीं’ वाली बात नहीं चलती ।
विषयों का व्यापक फ़लक हमारे सामने आता है इसमे सरकारी आवासीय योजनाओं की धांधली है तो चीन के प्रति हमारा दोहरा रवैया, जी.एस.टी. की भूलभुलैया, गौमाता पर राजनीति, पवित्र नदियों का प्रदूषण, बाढ़ के अपने अर्थ, देश में पसरे अंध विश्वास, बाबाओं का पाखंड और मूर्तियों की राजनीति भी है । इनके अतिरिक्त बैंक कर्मियों की अति-व्यस्तता, ए.टी.एम. की दिक्कतें, गरीब को चैक मिलने पर भी भुगतान की दिक्कतें, नाम बदलने की राजनीति, हिन्दी दिवस की रस्म-आदायगी और बापू की कल्पना के भारत के बरक्स आज के भारत का लेखा जोखा भी यहाँ है । लेखों मे आम आदमी के लिए लेखक की ‘कंसर्न’ को साफ महसूस किया जा सकता है । इस संबंध में कुछ लेखों की पंक्तियों को उदघ्रत करना उचित होगा ।
“पहले वाले साहब नें इंद्रा आवास योजना में केस बनवाया था, दीवार भर खड़ी हो पाई थी और आगे कुछ भी नहीं हुआ, साहब सब हितग्राहियों का पैसा खा कर ट्रान्सफर करा लिए थे, सब की दीवार बरसात मे गिर गई थी और शहर में साहब का आलीशान बंगला बन गया था”। (बंगला बखान)
“तहसीलदार ने रंगैया को बोला कि जाकर बैंक वालों से पूछो कि हीरे के व्यापारी को ग्यारह हज़ार करोड़ रुपये दिये थे तो क्या आधार कार्ड लिया था?’ (बैंक मे रंगैया का खाता)
‘हमारी सरकार ने नोट बंदी करके देश विदेश मे नाम कमाया है, बंद हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों को सड़ाकर खाद बनाई है जिससे तंदुरुस्त कमल पैदा किए गए हैं’ । (‘ए.टी.एम. में खुचड़’)
‘घर की बहू के हाथ से थोड़ा सा दूध गिर जाता है तो सास गोरस के अपमान की बात करके बहू को पाप का भागी बना देती है और उस समय सास और बहुओं ने मिल कर खूब दूध नालियों में बहाया, तब किसी ने नहीं कहा कि सब पापी थे’ । (‘अफवाह उड़ाना है पाप’)
शौचालय का शौक ऐसा चर्राया कि शौचालय बना-बना के लोगों ने बड़े बड़े बंगले खड़े कर लिए और शौचालय बिन पानी के गंदगी फैलाने के दूत बन गए’ । (‘कचरे के बहाने बहस’)
यह उल्लेखनीय है कि यद्यपि पाण्डेय जी नें अधिकतर तात्कालिक विषयों पर अपनी कलम चलाई है फिर भी वे बार बार हमारे समाज की ‘क्रानिक’ व्याधियों तक पहुचाने का प्रयास करते हैं । समाज मे व्याप्त अन्याय और भ्रष्टाचार तथा आम आदमी की लाचारी और बेबसी उनकी रचनाओं मे बार बार नुमायां होती हैं ।
पाण्डेय जी परसाई जी के निकट रहे हैं और उन्होने परसाई जी के जीवन का अंतिम इंटरव्यू भी लिया था जो काफी चर्चित रहा । अतः वे व्यंग्य के राग-रेशे से भली भांति वाकिफ हैं । उम्मीद की जा सकती है की आगे उनकी रचनाशीलता नए आयाम ग्रहण करेगी ।
– डॉ कुंदन सिंह परिहार, जबलपुर, मध्य प्रदेश
सम्प्रति : जय प्रकाश पाण्डेय, 416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765