श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी ने आखिर रिटायर्ड लोगों की खोपड़ी “घुसपैठ के बहाने “अच्छी तरह से खंगाल ही लिया। )
घुसपैठ के बहाने
रिटायर हुए लोगों से घुसपैठ पर बातचीत ………….
(नागरिकता और घुसपैठियों को लेकर सब परेशान हैं टीवी चैनल और पार्टी वाले ज्यादा परेशान हैं चुनाव के डर से। कुछ डुकरों के टाइम पास के लिए एक सवाल पूछा गया, सबके अलग अलग जबाब पढ़िये।)
सवाल – रिटायर होने के बाद टाईम पास कैसे कर रहे हैं ? घुसपैठ के बारे में आपके क्या विचार हैं ?
बंसल जी – बैंक ने बीस साल पत्नी से दूर रखा ,अब हिसाब किताब पूरा कर रहा हूं , जमा नामे में फर्क को ढूंढ रहा हूं ।मोहल्ले वाले घुसपैठिया कह कहकर चिढ़ाने लगे हैं जब नौकरी में थे तो महीने दो महीने में घर आते थे तो सबसे मिलते – जुलते थे। अब घर ही में घुसे रहते हैं।
मिश्रा जी – लोगों को समझा रहा हूं कि बैंक ने दो साल पहले क्यूं रिटायर किया ।पड़ोसन कहती है आपको बैंक ने भले रिटायर कर दिया है पर आप तो बिल्कुल जवान लगते हैं …….. जब से उसने ऐसा कहा है तभी से उनके घर में हमारी घुसपैठ बढ़ गई है।
तिवारी जी – अरे साहब बिल्कुल मस्त हो गए हैं ,मस्ती कर रहे हैं ,पड़ोसन से गप्प करते हैं , उनके छोटे – मोटे काम कर देते हैं, घरवाली से थोड़ा झगड़ा – अगड़ा कर लेते हैं। बाकी टाइम में टीवी चैनलों पर 40 लाख घुसपैठियों के ऊपर चलने वाली बहसें और वोट राजनीति का मजा लेते रहते हैं।
जोशी जी – जब तक नौकरी में रहे, बैंक को खूब चूना लगाया ,चूना लगाने की आदत पड़ गई थी ,इसलिए चूना लगाने की जगह तलाशते हैं ।अच्छे नागरिक बनने की कोशिश कर रहे हैं पर असाम के चुनाव के पहले नागरिकता पर सवाल अचानक बहुत उठ गए हैं। घुसपैठियों पर नजर रखते हैं पर चुप रहते हैं इसलिए मोहल्ले के बच्चे चिढ़ाने लगे हैं,
“जोशी पड़ोसी कुछ भी देखे, हम कुछ नहीं बोलेगा”
बतरा जी – देखो साधो, अपनी शुरु से खुचड़ करने की आदत रही है। इसीलिए हर बात में खुचड़ करके टाइम पास कर लेते हैं। बैंक वालों से जाकर लड़ते हैं, कांऊटर वाली को परेशान करते हैं, फिर घर आकर पत्नी को पटाते हैं। मेहमानों की घुसपैठ से परेशान हो गए हैं इसलिए घुसपैठियों के बारे में कुछ बोलना अभी ठीक नहीं है।
नेमा जी – कुछ नहीं यार, हर दम कुछ नहीं करने के बारे में सोचते रहते हैं। मन में सैकड़ों इच्छाओं का द्वंद चलता रहता है मन में ऊंटपटांग इच्छाओं की घुसपैठ के कारण किसी काम में मन नहीं लगता। माल्या और नीरव मोदी की नागरिकता पर चिंतन – मनन करते हैं। जब वे लोग पचीस तीस हजार करोड़ रुपये खाकर भाग गए तो सरकार पासपोर्ट जब्ती पर नये नियम बनाने का सोच रही है इस बात से और परेशान हो गए हैं।
शर्मा जी – भोजन भजन फटाफट करते हैं, फिर भविष्य फल पढ़ के नर्मदा मैया के दर्शन करते हैं, लौटते समय भंवरलाल पार्क में डुकरों के साथ चुनाव और घुसपैठियों पर बहस लड़ाते हैं फिर बस पकड़कर मंदिर के सामने बैठ जाते हैं।
जैन साब – लड़के की दुकान में बैठ के हिसाब किताब करके कुछ महिलाओं को गलत नं के कपड़े दे देते हैं ।
विचारधारा की घुसपैठ के कारण लड़की की जमीं जमाई शादी टूट गई इसलिए लड़की की शादी के लिए बाकी टाइम में लड़का ढूंढते हैं, दरअसल में लड़की ने लड़का पसंद कर लिया था शादी के कार्ड भी छप गए थे, प्रधान सेवक की आर्थिक नीतियों पर लड़के लड़की में बहस हो गई लड़का अंधमूक समर्थक था तो शादी टूट गई।
विश्वकर्मा जी – पंचर की दुकान खोल ली है ,पंचर करने और बनाने में टाइम का पता नईं चलता। बरसात के गड्ढों में छुपीं कीलें टायर ट्यूब में घुसपैठ कर जाते हैं तो बिजनेस बढ़िया चलता है।
पांडे जी – रिटायर होने के बाद तम्बाकू चूना मलने का शौक पाल लिया। ऊंगली में चूना लगाके घिसाई करने में मजा आता है फिर बढ़िया पान लगवा कर रगड़ा डाल देते हैं,पान वाले से बतियाते हुए पीक मारते हैं और दो चार ठो पान और लपटवा के डाक्टर के यहां की लाइन में लग जाते हैं। पैरों में आयी सूजन के लिए डाॅ का कहना है कि पेट में पटारों ने घुसपैठ की है।
सोनी जी – पूछ के क्या करोगे, बैंक ने कुछ करने लायक ही नहीं छोड़ा, पूरा चूस लिया, प्रमोशन की परीक्षा में नागरिकता और घुसपैठियों का निबंध नहीं लिख पाए थे तो प्रमोशन भी नहीं दिया और लफड़ों में फंसाकर वीआरएस दे दिया।
गुप्ता जी – का बतायें भैया… रिटायर का हुए ,कोई कुछ समझतै नैई हैं, न घर के न घाट के । बीबी कुत्ता जी कह के बुलाती है और बीच-बीच में घुसपैठिया घोषित करने की धमकी देती है।
स्वामी जी – कोई काम न धाम तो डी ए का हिसाब लगाते रहते हैं समझ नईं आत तो बैंक मनेजर के पास चले जात हैं। बैंक वाला चिढ़ने लगा है गार्ड घुसने नहीं देता। आजकल डिबिया में किमाच लेकर जाते हैं जो भी मिसबिहेव करता है उसकी सीट तरफ फूंक देते हैं।
वर्मा जी– देखो भाई हम शुद्ध लाला ठहरे ,अभी भी ला ..ला…के चक्कर में रहते हैं
पहले कुछ फायदा कराओ तब सवाल का जबाब पाओ।
श्रीवास्तव जी – रिटायर होने होने के बाद ज्यादा ही काम बढ़ गए हैं, आंख ,नाक ,दिल की सर्विसिंग कराने के चक्कर में डाक्टरनी से इश्क में पड़ गए हैं। “जब सबै भूमि गोपाल की” तो कहां के घुसपैठिया……. और कैसी नागरिकता…. ।
**********अभी इतने लोग से ही बात हो पाई है,आपकी और किसी से इस बारे में बात हो तो जरूर बताईयेगा …..
सादर अभिवादन
© जय प्रकाश पाण्डेय